नानावटी कमीशन ने गुजरात दंगे में पीएम नरेंद्र मोदी को दी क्लीन चिट, विधानसभा में पेश हुई रिपोर्ट
नरेंद्र मोदी को लेकर नानावटी आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने गोधरा कांड के बाद बिना बताए वहां का दौरा किया था, लेकिन प्रशासन को इस बात की जानकारी थी.
नई दिल्ली:
गुजरात दंगों की जांच कर रहे नानावटी आयोग ने पीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी है. पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर नानावटी आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया गया था कि मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने गोधरा कांड के बाद बिना बताए वहां का दौरा किया था, लेकिन जांच में यह बात स्पष्ट हो गई है कि प्रशासन को इस बात की पूरी जानकारी थी.
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मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी गोधरा में ट्रेन की बोगियों को जलाने की घटना के बाद वहां हालात का जायजा लेने गए थे, लेकिन उन पर आरोप लगा कि वे तथ्यों को नुकसान पहुंचाने के लिए वहां पहुंचे थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि वे ट्रेन के कोच S-6 का निरीक्षण करने गए थे. नानावटी आयोग की रिपोर्ट को आज गुजरात विधानसभा में पेश गया.
The Nanavati-Mehta Commission report part 2 on #Godhra train incident has been tabled in Gujarat Assembly.
— ANI (@ANI) December 11, 2019
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तब नरेंद्र मोदी पर यह भी आरोप लगा था कि मुख्यमंत्री आवास पर कुछ अधिकारियों की मीटिंग हुई थी, जिसमें कहा गया था कि पुलिस कुछ दिन कुछ भी नही करेगी, लेकिन इस बात के भी प्रमाण जांच के दौरान नहीं मिले. रिपोर्ट में कहा गया है कि गोधरा ट्रेन कांड के बाद गुजरात में जो दंगे हुए, वे प्रायोजित नहीं थे. इस कारण नानावटी कमीशन ने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी है. बता दें कि नानावटी कमीशन ने आईपीएस आरबी श्रीकुमार, राहुल शर्मा और संजीव भट्ट के तथ्यों की भी जांच की थी.
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2002 में गुजरात में हुए थे दंगे
बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में 59 कारसेवकों को जलाने की घटना की प्रतिक्रिया के रूप में पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे थे. इन दंगों की जांच के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन मार्च 2002 को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति जीटी नानावती की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था. आयोग के दूसरे सदस्य न्यायमूर्ति केजी शाह थे. 2009 में केजी शाह के निधन के बाद अक्षय मेहता को सदस्य बनाया गया था. गौरतलब है कि शुरुआत में आयोग को साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी से जुड़े तथ्य और घटनाओं की जांच का काम ही सौंपा गया था. आयोग को जून 2002 में गोधरा कांड के बाद हिंसा की जांच करने की जिम्मेदारी भी दी गई.
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