मोरबी पुल त्रासदी के लिए मोरबी नगरपालिका है जिम्मेदार : विषेशज्ञ

हाल ही में मोरबी पुल हादसे में 140 से अधिक लोगों की जान चली गई. यह हादसा मोरबी नगर पालिका की लापरवाही की ओर इशारा करता है. ब्रिज स्ट्रक्च रल इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ ने कहा कि नगर पालिका ने बगैर जांच-पड़ताल किए ही पुल की मरम्मत का ठेका एक एजेंसी को सौंप दिया था. नाम न छापने की शर्त पर विशेषज्ञ ने आईएएनएस से कहा, पुल की मरम्मत का ठेका देने के पहले नगरपालिका को पुल का संरचनात्मक विश्लेषण कराना चाहिए था. इसके अलावा इसे हवा, स्टील संरचना, लोड परीक्षण व स्थिरता परीक्षण को ध्यान में रखना चाहिए था. पानी की क्षारीयता को नजर में रखना चाहिए था. इसके आधार पर इसे वर्तमान और भविष्य की आवश्यकता के लिए तैयार करना चाहिए था.

हाल ही में मोरबी पुल हादसे में 140 से अधिक लोगों की जान चली गई. यह हादसा मोरबी नगर पालिका की लापरवाही की ओर इशारा करता है. ब्रिज स्ट्रक्च रल इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ ने कहा कि नगर पालिका ने बगैर जांच-पड़ताल किए ही पुल की मरम्मत का ठेका एक एजेंसी को सौंप दिया था. नाम न छापने की शर्त पर विशेषज्ञ ने आईएएनएस से कहा, पुल की मरम्मत का ठेका देने के पहले नगरपालिका को पुल का संरचनात्मक विश्लेषण कराना चाहिए था. इसके अलावा इसे हवा, स्टील संरचना, लोड परीक्षण व स्थिरता परीक्षण को ध्यान में रखना चाहिए था. पानी की क्षारीयता को नजर में रखना चाहिए था. इसके आधार पर इसे वर्तमान और भविष्य की आवश्यकता के लिए तैयार करना चाहिए था.

author-image
IANS
New Update
Morbi Tragedy

(source : IANS)( Photo Credit : Twitter)

हाल ही में मोरबी पुल हादसे में 140 से अधिक लोगों की जान चली गई. यह हादसा मोरबी नगर पालिका की लापरवाही की ओर इशारा करता है. ब्रिज स्ट्रक्च रल इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ ने कहा कि नगर पालिका ने बगैर जांच-पड़ताल किए ही पुल की मरम्मत का ठेका एक एजेंसी को सौंप दिया था. नाम न छापने की शर्त पर विशेषज्ञ ने आईएएनएस से कहा, पुल की मरम्मत का ठेका देने के पहले नगरपालिका को पुल का संरचनात्मक विश्लेषण कराना चाहिए था. इसके अलावा इसे हवा, स्टील संरचना, लोड परीक्षण व स्थिरता परीक्षण को ध्यान में रखना चाहिए था. पानी की क्षारीयता को नजर में रखना चाहिए था. इसके आधार पर इसे वर्तमान और भविष्य की आवश्यकता के लिए तैयार करना चाहिए था.

Advertisment

143 साल पुराना ब्रिटिशकाल का पुल पहले की हवा और उस समय के लाइव लोड और भूकंप प्रतिरोध के आधार पर बनाया गया था. समय के साथ कई बदलाव हुए होंगे, इसलिए छोटी से छोटी चीज को भी पुल के डिजाइन और निर्माण में कारक के रूप में माना जाना चाहिए था. 1940 में दक्षिण अफ्रिका के टैकोमा के संकरे पुल के ढहने का हवाला देते हुए विशेषज्ञ ने कहा कि यह झूला पुल के हादसे की पहली घटना थी. यह 40 मील प्रति घंटे चलने वाली हवा की गति का सामना करने में विफल रहा था.

मोरबी पुल के संबंध में विशेषज्ञ ने कहा कि इस पुल को फिर से डिजाइन करते समय नगरपालिका ने मानकों की अनदेखी की. विशेषज्ञ ने कहा कि एजेंसियों द्वारा पुलों के निर्माण के बाद प्रमाण पत्र जारी करने के पहले यह सत्यापित किया जाता है कि मानकों को पूरा किया गया है. उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए सवाल किया क्या मोरबी पुल मामले में इसका पालन किया गया था.

Source : IANS

Morbi bridge tragedy gujarat-news Morbi municipality
      
Advertisment