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गुजरात विधानसभा में 'लव जिहाद' बिल पास

गुजरात विधानसभा ने गुरुवार को 'धर्म स्वातंय' (धर्म की स्वतंत्रता) अधिनियम, 2003 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पारित किया, जिसका उद्देश्य जबरन धर्मातरण को रोकना है. इसे लव जिहाद कानून के नाम से भी जाना जाता है.

Updated on: 01 Apr 2021, 09:54 PM

गांधीनगर:

गुजरात विधानसभा ने गुरुवार को 'धर्म स्वातंय' (धर्म की स्वतंत्रता) अधिनियम, 2003 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पारित किया, जिसका उद्देश्य जबरन धर्मातरण को रोकना है. इसे लव जिहाद कानून के नाम से भी जाना जाता है. सत्तारूढ़ भाजपा ने इस बिल को सदन में पेश किया, जिसका उद्देश्य धर्मातरण को रोकना और ऐसा करने वालों को दंडित करना है. विधेयक को राज्य विधानसभा में विधायी मामलों के मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा द्वारा पेश किया गया था. गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट, 2003 जबरन या धोखाधड़ी से या लालच देकर धर्मातरण करने से रोकता है. राज्य सरकार ने महसूस किया कि बेहतर जीवन शैली, डिवाइन ब्लेसिंग के बहाने भी कई लोग धर्मातरण का काम करते थे. भाजपा सरकार ने इस संशोधन को लाने का कारण बताते हुए कहा, "राज्य सरकार ने पाया है कि धार्मिक परिवर्तन के लिए महिलाओं को शादी का लालच दिया जाता है.

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, जो कोई भी विवाह का लालच देकर धर्मातरण करता हुआ पाया गया, या किसी व्यक्ति की शादी करवाता है या किसी व्यक्ति की शादी करने के लिए सहायता करता है, उसे कम से कम तीन साल और अधिकतम पांच साल तक के कारावास की सजा दी जाएगी. साथ ही उसपर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

यदि विवाह एक नाबालिग, एक महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंध में है, तो सजा न्यूनतम चार साल और अधिकतम सात साल के कारावास की होगी और 3 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा. प्रस्तावित संशोधन के प्रावधानों में आगे कहा गया है कि अगर कोई संस्था या संगठन ऐसी शादी के लिए जिम्मेदार पाया जाता है, तो उसे न्यूनतम तीन साल की कैद और 10 साल तक की सजा दी जाएगी. साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

विवाह के माध्यम से इस तरह के धर्मातरण को अपराध को गैर-जमानती माना जाएगा और इसकी जांच उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) के पद से ऊपर के अधिकारी द्वारा की जाएगी.

कांग्रेसी विधायक ने गुजरात विधानसभा में 'लव जिहाद' विधेयक की प्रति फाड़ी

बजट सत्र के समापन के दिन गुरुवार विधानसभा में भारी हंगामा हुआ. कांग्रेस विधायक इमरान खेडावाला ने 'धर्म स्वातंय' (धर्म की स्वतंत्रता) अधिनियम, 2003 को संशोधित करने के लिए प्रस्तावित विधेयक की एक प्रति को फाड़ दिया. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सदन में इस विधेयक को पेश किया था. संशोधन विधेयक के प्रावधानों पर बात करते हुए, खेडावाला ने कहा कि गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने केवल उल्लेख किया है कि हिंदू समुदाय की बेटियों को एक विशिष्ट समुदाय के पुरुषों द्वारा टार्गेट किया जाता है. बेटियां, किसी भी धार्मिक समुदाय के साथ रहें, हमेशा हमारी बेटी रहेंगी. मेरे पास भी मुस्लिम लड़कियों की सौ से अधिक गवाही है जो दूसरे धर्म में शादी कर रही हैं. मैं मंत्री के शब्दों से बहुत आहत हूं.

यह सुनते ही सदन के अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने कांग्रेस विधायक को बीच में ही रोक दिया, लेकिन खेडावाला अपनी बात पर अड़े रहे. खेडावाला ने कहा कि कोई भी किसी को किसी विशिष्ट धर्म में विवाह करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है और किसी भी धर्म में यह जबरन किसी को भी स्वीकार करने के लिए नहीं लिखा गया है. इस विधेयक में केवल एक समुदाय को विशेष रूप से 'जिहादी' जैसे शब्दों के साथ टार्गेट किया गया है. मैं इस विधेयक का विरोध करता हूं और मैं इसकी प्रति को फाड़ रहा हूं.