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गुजरातः मोरबी पुल हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख, बोली यह बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय दौरे पर गृह राज्य गुजरात पहुंचे हुए हैं. इस दौरान उन्होंने मोरबी पुल हादसे पर दुख प्रकट किया.मोरबी में केबल ब्रिज गिरने की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि  मैं यहां एकता नगर में हूं लेकिन मेरा मन

Updated on: 31 Oct 2022, 10:15 AM

New Delhi:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय दौरे पर गृह राज्य गुजरात पहुंचे हुए हैं. इस दौरान उन्होंने मोरबी पुल हादसे पर दुख प्रकट किया. मोरबी में केबल ब्रिज गिरने की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि  मैं यहां एकता नगर में हूं लेकिन मेरा मन मोरबी के पीड़ितों से जुड़ा हुआ है। हादसे में जिन लोगों ने जान गंवाई है मैं उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि सरकार हर तरह से पीड़ित परिवारों के साथ है। गुजरात सरकार कल शाम से ही राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है। केंद्र सरकार से गुजरात सरकार को हर संभव मदद दी जा रही है। NDRF और सेना तैनात है. आज राष्ट्रीय एकता दिवस हमें इस दुख की घड़ी में एकजुट होकर अपने कर्तव्य पथ पर रहने की संवेदना दे रहा है.

मोरबी में केबल ब्रिज गिरने की घटना पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि अस्पताल में लगातार इलाज चल रहा है। हादसे की ख़बर मिलने के बाद ही CM भूपेंद्र पटेल में मोरबी पहुंच गए थे। जांच के लिए एक कमिटी बनाई गई है। राहत और बचाव कार्य में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी. अस्पताल में लगातार इलाज चल रहा है। हादसे की ख़बर मिलने के बाद ही CM भूपेंद्र पटेल मोरबी पहुंच गए थे। जांच के लिए एक कमिटी बनाई गई है। राहत और बचाव कार्य में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी. 

पीएम मोदी ने कहा कि अगर भारत के पास सरदार पटेल जैसा नेतृत्व न होता तो क्या होता? अगर 550 से ज्यादा रियासतें एकजुट न हुई होती तो क्या होता? हमारे ज्यादातर राजा रजवाड़े त्याग की पराकाष्ठा न दिखाते, तो आज हम जैसा भारत देख रहे हैं हम उसकी कल्पना न कर पाते। ये कार्य सरदार पटेल ने ही सिद्ध किया है.अतीत की तरह ही भारत के उत्थान से परेशान होने वाली ताकतें आज भी मौजूद हैं। जातियों के नाम हमें लड़ाने के लिए तरह तरह के नरेटिव गढ़े जाते हैं। इतिहास को भी ऐसे पेश किया जाता हैं कि जिससे देश जुड़े नहीं और दूर हो जाएंं। कई बार ये ताकत गुलामी की मानसिकता के रूप में हमारे अंदर घर कर जाती है। कई बार ये तुष्टिकरण के रूप में, कभी परिवारवाद के रूप में, कभी लालच और भ्रष्टाचार के रूप में दरवाजे तक दस्तक दे देती है। जो देश को बांटती और कमजोर करती है।