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गुजरात विधानसभा चुनाव: कांग्रेस में घमासान, वाघेला बोले- पार्टी आलाकमान के पास दूरदर्शिता नहीं

वाघेला ने कहा कि पार्टी चुनाव की तैयारियों को नजरअंदाज करती रही है और अागे भी अगर 'आत्मघाती रास्ते' पर चलती रही तो मैं आलाकमान को नहीं मानूंगा।

Updated on: 24 Jun 2017, 11:51 PM

highlights

  • वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि पार्टी आलाकामान के पास दूरदर्शिता नहीं है
  • पार्टी चुनाव की तैयारियों को नजरअंदाज करती रही है और अागे भी अगर 'आत्मघाती रास्ते' पर चलती रही तो मैं आलाकमान को नहीं मानूंगा

नई दिल्ली:

इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए गुजरात कांग्रेस में विरोध के सुर अभी से उठने लगे हैं। शनिवार को वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि पार्टी आलाकामान के पास दूरदर्शिता नहीं है।

बिना किसी हिचकिचाहट के उन्होंने कहा, 'कांग्रेस आलाकमान में दूरदर्शिता का आभाव है।'

वाघेला ने ये भी कहा कि पार्टी चुनाव की तैयारियों को नजरअंदाज करती रही है और अागे भी अगर 'आत्मघाती रास्ते' पर चलती रही तो मैं आलाकमान को नहीं मानूंगा।

उन्होंने कहा कि पार्टी को होने वाली विधानसभा चुनाव की तैयारी करनी चाहिए थी जबकि सभी प्रदेश नेतृत्व उन्हें निकालने की कोशिश में लगे हैं। 

वाघेला ने कांग्रेस आलाकमान से हाल ही में विधानसभा चुनाव को देखते हुए बड़ी ज़िम्मेदारी की मांग की थी। लेकिन मांग नहीं मानने पर अपने समर्थकों के बीच शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर शक्ति प्रदर्शन किया, साथ ही नाराज़गी भी ज़ाहिर की।

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वाघेला ने कहा, 'मैने आगामी चुनाव को देखते हुए कांग्रेस आलाकामान को अपनी शिकायतें दी है। वे चाहे तो गुजरात की एक छोटी सी यात्रा पर आकर चुनावी तैयारियों को लेकर काम कर सकते हैं। मुझे समझ नहीं आता कि ये दिल्ली के लोग क्यों नहीं समझ रहे कि दसम्बर में चुनाव होने वाला है।'

उन्होंने कहा, 'उत्तरप्रदेश में बुरी तरह से हारने के बाद गुजरात चुनाव में आपको अधिक सतर्क रहने की ज़रुरत है।'

उन्होंने कहा, 'आप पार्टी के मालिक हैं, हमें आपके निर्देशों का पालन करना है। हमें आपके ग़लत आदेशों को भी मानना होगा क्योंकि हम इस पार्टी के सदस्य हैं। हमने हमेशा ही पार्टी आलाकमान का कहा माना है। लेकिन इसे हमारी कमज़ोरी न समझी जाए।'

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वाघेला ने कहा कि मुझे इस बात से दिक्कत है कि पार्टी के पास चुनाव को लेकर कोई योजना नहीं हैं। इससे लगता है कि आलाकमान के पास दूरदृष्टि की कमी है। एंटिनी कमिटी के रिपोर्ट में भी साफ़ किया गया है कि चुनाव से 1 साल पहले ही उम्मीदवार को अपने क्षेत्र में भेजा जाए। मेरा मानना है कि एक साल न सही 6 महीने पहले तक तो तैयारी के लिए भेजो।
ज़ाहिर है 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस के हाथ से एक एक कर सभी राज्य छूटते जा रहे हैं। गठबंधन की राजनीति भी कांग्रेस के काम नहीं आ रही। ऐसे में गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के अंदर चल रहा घमासान पार्टी के लिए चुनाव से पहले ही कोई बड़ी मुसीबत न खड़ी कर दे।

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