गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भाजपा में टिकटों के लिए पैरवी शुरू हो गई है और पार्टी पर्यवेक्षकों ने 33 जिलों और प्रमुख शहरों का दौरा कर पार्टी कार्यकर्ताओं और संभावित उम्मीदवारों के बारे में नेताओं की राय ली है. कुछ जगहों पर अहमदाबाद में असरवा जैसी अनुसूचित जाति आरक्षित सीटों के लिए भारी भीड़ के साथ लॉबिंग अपने चरम पर है, क्योंकि पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि यहां जीतने के लिए सबसे आसान सीट है. वडोदरा शहर के पर्यवेक्षक शंकर चौधरी ने मीडियाकर्मियों से कहा कि वह दो दिनों तक चार विधानसभा सीटों के लिए इच्छुक उम्मीदवारों और पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत करेंगे.
सूरत में, वराचा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक कुमार कनानी की महत्वाकांक्षी उम्मीदवार दिनेश नवादिया के खिलाफ टिप्पणी पर विवाद छिड़ गया. कनानी ने कहा था- पार्टी कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत, उनकी दिन-रात निस्वार्थ सेवा के कारण पार्टी सफल होती है. उद्योगपति कभी भी पार्टी के लिए काम नहीं करते हैं, इसलिए उम्मीदवार का चयन करते समय, पार्टी को गलती से किसी उद्योगपति को नामित करके कार्यकर्ताओं की उपेक्षा या अपमान नहीं करना चाहिए. कुमार कनानी की टिप्पणी कई व्यापार और उद्योग संघों द्वारा पार्टी पर्यवेक्षकों को नवादिया को भाजपा उम्मीदवार के रूप में नामित करने के लिए प्रतिनिधित्व करने के बाद आई है.
अहमदाबाद शहर में असरवा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जिस पर सबसे अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने टिकट की मांग की है, असरवा वार्ड अध्यक्ष ने मीडिया से कहा कि यह किसी भी उम्मीदवार के लिए सबसे सुरक्षित सीट है, क्योंकि पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस क्षेत्र को बहुत अच्छी तरह से पोषित किया है, यानी कार्यकर्ताओं के सहारे यहां बीजेपी की पकड़ बहुत मजबूत है. इसलिए राज्यभर से अनुसूचित जाति के उम्मीदवार इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं.
Source : IANS