Earthquake: फिर भूकंप के झटकों से कांपी देश के इस राज्य की धरती, घरों से बाहर निकले लोग

देश के अहम हिस्से में शनिवार की सुबह सामान्य नहीं थी. यहां लोगों को नींद में भी धरती के डोलने का एहसास हुआ और लोग घरों से बाहर निकल आए. भूकंप के झटकों से लोगों में दहशत का माहौल है.

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Dheeraj Sharma
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Earthquake In Gujarat

Earthquake: शनिवार सुबह एक बार फिर देश के अहम हिस्से में भूकंप के झटकों के साथ हुई. दरअसल  गुजरात के लोगों लिए वीकेंड की शुरुआत ही धरती के डोलने के साथ हुई है.  सुबह करीब 3:35 बजे उत्तर गुजरात के बानसकांठा जिले के वाव क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए. इंस्टीट्यूट ऑफ सिसमोलॉजी रिसर्च (ISR) के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.4 मापी गई. भूकंप का केंद्र वाव क्षेत्र में जमीन से लगभग 4.9 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया है. इस झटके के बाद लोगों में हल्का डर जरूर देखा गया और कई लोग एहतियातन अपने घरों से बाहर निकल आए.

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भूकंप की जद में प्रदेश के कई इलाके

गुजरात भूकंप संभावित क्षेत्रों में शामिल है और अतीत में कई बार इसकी धरती कांप चुकी है. विशेषज्ञों के अनुसार, गुजरात की भौगोलिक संरचना इसे भूकंप के लिए संवेदनशील बनाती है. विशेषकर कच्छ, जामनगर, बानसकांठा और गांधीनगर जैसे इलाके अधिक खतरे की जद में आते हैं. वाव का यह क्षेत्र गांधीनगर से महज 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिससे राजधानी क्षेत्र में भी कुछ हल्के झटके महसूस किए गए.
किसी भी के नुकसान की खबर नहीं

हालांकि, राहत की बात यह रही कि इस भूकंप से किसी प्रकार की जानमाल की हानि की खबर नहीं मिली है. स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने पुष्टि की कि किसी तरह का बड़ा नुकसान नहीं हुआ है. फिर भी, सुबह-सुबह लोगों की नींद में खलल पड़ा और कई जगहों पर कुछ समय के लिए अफरा-तफरी की स्थिति बन गई.

2001 में मची थी तबाही

गुजरात का भूकंपीय इतिहास भी चिंताजनक रहा है. पिछले दो शताब्दियों में राज्य में 9 बड़े भूकंप आ चुके हैं, जिनमें सबसे भयावह 26 जनवरी 2001 को कच्छ क्षेत्र में आया था. उस समय आए भूकंप की तीव्रता 7.7 रिक्टर स्केल पर दर्ज की गई थी और यह आधुनिक भारत के सबसे विनाशकारी भूकंपों में से एक था. उस आपदा में करीब 13,800 लोगों की जान गई थी और 1.67 लाख से अधिक लोग घायल हुए थे। करोड़ों की संपत्ति नष्ट हो गई थी और हजारों परिवार बेघर हो गए थे.

आज का भूकंप भले ही छोटा रहा हो, लेकिन यह हमें एक बार फिर याद दिलाता है कि प्राकृतिक आपदाएं कभी भी और कहीं भी आ सकती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भूकंप का खतरा पूरी तरह टल नहीं सकता, लेकिन सही समय पर तैयारी और जागरूकता से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है. गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (GSDMA) इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है. लोगों को भूकंप के समय अपनाई जाने वाली सावधानियों की जानकारी दी जा रही है, जैसे कि मजबूत स्थानों पर शरण लेना, खुले स्थानों में निकलना और अनावश्यक अफवाहों से बचना.

इस छोटे झटके ने एक बार फिर हमें सतर्क रहने की चेतावनी दी है कि भूकंप जैसी आपदाएं भले ही अनियंत्रणीय हों, लेकिन उनका सामना समझदारी और सतर्कता से किया जा सकता है.

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