फर्जी मेडिकल डिग्री के बड़े रैकेट का भंडाफोड़, सूरत से 10 'डॉक्टर' समेत 13 लोग गिरफ्तार

Fake Medical Degree Racket: गुजरात पुलिस ने फर्जी मेडिकल डिग्री बेचने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इसके साथ ही पुलिस ने 13 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिसमें रैकेट का मास्टर माइंड भी शामिल है.

author-image
Suhel Khan
New Update
Fake Doctor Racket

फर्जी मेडिकल डिग्री रैकेट का भंडाफोड़ (Social Media)

Fake Medical Degree Racket: सूरत पुलिस एक ऐसे रैकेट का भंडाफोड़ किया, जो मेडिकल की फर्जी डिग्रियों का कारोबार चला रहे थे. पुलिस ने इस रैकेट के कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें रैकेट का मास्टरमाइंड और फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग करके 'डॉक्टर' के रूप में काम करने वाले लोग भी शामिल हैं. पुलिस के मुताबिक, इन फर्जी डॉक्टरों ने कथित तौर पर 60,000 रुपये से 80,000 रुपये में फर्जी डिग्रियां खरीदी थी. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए ज्यादातर लोग मुश्किल से 12वीं पास हैं.

Advertisment

रैकेट का मास्टरमाइंड भी गिरफ्तार

इस मामले में पुलिस ने फर्जी रैकेट के मास्टरमाइंड को भी गिरफ्तार किया है.  जिसकी पहचान सूरत निवासी रसेश गुजराती के रूप में हुई है. जो सह-आरोपी बी के रावत की मदद से फर्जी प्रमाणपत्र जारी कर रहा था. जानकारी के मुताबिक, उन्होंने पिछले कुछ सालों में कई व्यक्तियों को 1,500 से अधिक ऐसी फर्जी डिग्रियां जारी की थीं.

ये भी पढ़ें: UP सरकार का किसानों को सबसे बड़ा तोहफा, नए साल से पहले दे दी इतनी बड़ी सौगात

पुलिस के मुताबिक, इन लोगों को शहर के पांडेसरा इलाके में छापेमारी के बाद की गईं जहां के बाद गिरफ्तार किया गया है. ये फर्जी डॉक्टर इलाके में क्लीनिक चला रहे थे. उनके पास बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी मेडिकल साइंस (बीईएमएस) प्रमाणपत्रों की फर्जी डिग्रियां थी और इसी के आधार पर वे  प्रैक्टिस कर रहे थे. गिरफ्तार किया गया आरोपी बीके रावत अहमदाबाद का रहने वाला है.

धड़ल्ले से चला रहे क्लीनिक

पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपी बिना किसी जानकारी या किसी प्रकार के प्रशिक्षण के मरीजों को एलोपैथिक दवा दे रहे थे. आशंका है कि राज्य भर में ऐसे सैकड़ों फर्जी डॉक्टर क्लीनिक चला रहे हैं. पुलिस उपायुक्त, जोन-4, विजय सिंह गुजरात ने बताया कि पांडेसरा में तीन क्लीनिकों पर छापेमारी की गई. आरोपी फर्जी डॉक्टरों ने अपने बीईएमएस प्रमाणपत्र दिखाए, जो गुजरात सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं. उन्होंने कहा कि राज्य स्वास्थ्य विभाग ने भी पुष्टि की है कि ये डिग्रियां फर्जी हैं.

ये भी पढ़ें: Farmers Protest: शंभू बॉर्डर पर हिरासत में लिए गए कई किसान, अंबाला में बंद किया गया इंटरनेट

जांच में खुली फर्जी डॉक्टरों की पोल

उन्होंने बताया कि जांच से पता चला है कि गिरोह ऐसे लोगों की पहचान करता था जो डॉक्टरों के क्लीनिक में काम करते थे और उन्हें अपना क्लीनिक खोलने के लिए सर्टिफिकेट देते थे. प्रमाण पत्र 60 हजार से 80 हजार रुपये में दिए जाते थे. शुरुआत में रैकेट के सदस्य इच्छुक व्यक्ति को बताते कि उसे ढाई साल का प्रशिक्षण लेना होगा, लेकिन यह केवल एक दिखावा था क्योंकि किसी ने भी वह प्रशिक्षण नहीं लिया था.

ये भी पढ़ें: Parliament Winter Session Live Updates: राज्यसभा में मिली नोटों की गड्डी, सदन में विपक्ष का जमकर हंगामा

10-15 दिनों में जारी किए जाते थे प्रमाण पत्र

पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रमाण पत्र महज 10-15 दिनों में जारी किए जाते थे. रैकेट का मास्टरमाइंड गुजराती सर्टिफिकेट प्रिंट करके उन्हें सौंप देता था और दावा करता था कि उन्हें इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड द्वारा प्रैक्टिस करने के लिए अनुमति मिल गई है. पुलिस के मुताबिक, गुजराती, रावत और अन्य लोग क्लीनिक चलाने वाले इन फर्जी डॉक्टरों से नवीनीकरण शुल्क के रूप में सालाना 5,000 से 15,000 रुपये की वसूली भी करते थे.

Fake doctor Gujarat Police gujarat-news Gujarat News in hindi
      
Advertisment