कैंसर से जूझ रहे मनोहर पर्रिकर 4 महीने बाद पहुंचे दफ्तर, अधिकारियों के साथ की बैठक

पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे 63 वर्षीय पर्रिकर लंबे समय से अपने कार्यालय नहीं आ रहे थे. वे बीते 1 साल से गोवा, मुंबई, न्यूयॉर्क और दिल्ली के अस्पतालों से अपना इलाज करा चुके हैं.

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saketanand gyan
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कैंसर से जूझ रहे मनोहर पर्रिकर 4 महीने बाद पहुंचे दफ्तर, अधिकारियों के साथ की बैठक

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर (फोटो : ANI)

गंभीर बीमारी से जूझ रहे गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर नए साल पर मंगलवार को पिछले चार महीने में पहली बार राज्य सचिवालय के अपने दफ्तर पहुंचे. पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे 63 वर्षीय पर्रिकर लंबे समय से अपने कार्यालय नहीं आ रहे थे. वे बीते 1 साल से गोवा, मुंबई, न्यूयॉर्क और दिल्ली के अस्पतालों से अपना इलाज करा चुके हैं. मुंबई में इलाज के लिए शिफ्ट कराए जाने से पहले वे अंतिम बार अगस्त 2018 में कार्यालय आए थे. पर्रिकर का सुबह 10.45 बजे राज्य सचिवालय में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के द्वारा स्वागत किया गया. बताया गया कि मुख्यमंत्री ने कार्यालय के कर्मचारियों के साथ बीजेपी नेताओं से भी मुलाकात की.

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मनोहर पर्रिकर ने मंगलवार को ट्वीट कर नए साल की शुभकामनाएं भी दी. उन्होंने अंग्रेजी में ट्वीट किया, 'नए साल की शुभकामनाएं.'

पर्रिकर जब सचिवालय पहुंचे, इस दौरान भी उनके नाक से जुड़ी हुई दवा की पाइप लगी हुई थी. इसके पहले बीते महीने पर्रिकर पणजी के करीब एक निर्माणाधीन पुल का निरीक्षण के लिए निकले थे, उस वक्त भी ये पाइप लगी हुई थी. इस दौरान उनके साथ चिकित्सकों का एक दल भी मौजूद था. इस घटना पर विपक्षी दलों ने बीजेपी सरकार की तीखी आलोचना की थी.

कांग्रेस ने आलोचना करते हुए कहा था कि मनोहर पर्रिकर को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा 'ही-मैन या सुपरमैन' के रूप में दिखाया जा रहा है और इसके लिए उनका फोटो शूट कराया जा रहा है.

गौरतलब है कि पर्रिकर की निर्माणाधीन पुल पर सार्वजनिक मौजूदगी ऐसे समय में हुई थी जब बॉम्बे हाई कोर्ट की पणजी पीठ एक याचिका पर अपना आदेश देने वाली थी, जिसमें अस्वस्थ मुख्यमंत्री की स्वास्थ्य स्थिति की जानकारी मांगी गई थी.

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हाई कोर्ट ने अस्वस्थ मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की चिकित्सकीय जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. पर्रिकर के निजता के अधिकार को प्राथमिकता देते हुए अदालत ने फैसला दिया था कि खराब स्वास्थ्य किसी को संवैधानिक पद को धारण करने में अक्षम नहीं बनाता.

अदालत ने यह भी कहा था कि चिकित्सकों की एक समिति द्वारा पर्रिकर की चिकित्सकीय जांच और उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग, एक व्यक्ति के निजता के अधिकार का अतिक्रमण है.

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स्थानीय राजनेता ट्राजनो डी मेलो ने याचिका दाखिल की थी और पर्रिकर के स्वास्थ्य के बारे जानकारी मांगी थी. विपक्ष कई महीनों से मुख्यमंत्री पर्रिकर से इस्तीफे की मांग कर रही है. विपक्ष का आरोप है कि पर्रिकर की बीमारी की वजह से राज्य का प्रशासन प्रभावित हो रहा है.

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Source : News Nation Bureau

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