South Goa News: दक्षिण गोवा के बेटुल, कटबोना जेट्टी क्षेत्र में डायरिया के कारण पांच लोगों की मौत के बाद गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने घटना की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र का दौरा किया. उनके साथ पर्यावरण मंत्री, स्थानीय विधायक और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे. इस दौरे के दौरान उन्होंने स्थिति की समीक्षा की और स्वास्थ्य विभाग द्वारा श्रमिकों के लिए नए दिशानिर्देश जारी करने का ऐलान किया.
स्वास्थ्य विभाग से मानक संचालन प्रक्रिया की घोषणा
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ने बताया कि घटना के बाद सरकार ने डायरिया से प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की है. उन्होंने कहा कि श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की निगरानी के लिए एक समन्वित प्रयास किया जाएगा. इसके तहत स्वास्थ्य विभाग की तरफ से श्रमिकों को साफ-सफाई और स्वास्थ्य से संबंधित दिशा-निर्देश दिए जाएंगे, ताकि इस तरह की स्थिति की पुनरावृत्ति न हो. मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि श्रमिकों की निगरानी और समुचित देखभाल की जिम्मेदारी डिप्टी कलेक्टर को सौंपी जाएगी, जो समूचे क्षेत्र में समन्वय और निगरानी करेंगे.
पीड़ित परिवारों के लिए आर्थिक सहायता
वहीं आपको बता दें कि मुख्यमंत्री सावंत ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि मृतकों के परिवारों को कुल 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. इसमें से 5 लाख रुपये जेट्टी पर काम करने वाले मछुआरों के नाव मालिकों द्वारा दिए जाएंगे, जबकि शेष 5 लाख रुपये मछली पालन विभाग द्वारा प्रदान किए जाएंगे. इस सहायता से मृतक श्रमिकों के परिवारों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है, जो इस दुखद घटना से प्रभावित हुए हैं.
भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव की योजना
इसके अलावा आपको बता दें कि मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि उनकी सरकार भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने जा रही है. उन्होंने श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की स्थिति में सुधार करने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की बात की. इसके अंतर्गत श्रमिकों के आवासीय क्षेत्रों में नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाएंगे और साफ-सफाई की निगरानी की जाएगी. साथ ही बता दें कि, श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे, ताकि वे स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो सकें.