दिल्ली सरकार जल आपूर्ति सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने पर विचार कर रही है. सरकार की योजना के अनुसार, संपत्ति पंजीकरण के समय जल बिल को एक अनिवार्य दस्तावेज बनाया जा सकता है. अधिकारियों के अनुसार, यह प्रस्ताव वर्तमान में दिल्ली जल बोर्ड (DJB) द्वारा विचाराधीन है. दिल्ली में इस समय लगभग 29 लाख जल कनेक्शन पंजीकृत हैं, जो वास्तविक घरों की संख्या से काफी कम हैं. खासकर अवैध कॉलोनियों में लोग बिना औपचारिक जल कनेक्शन के पानी का उपयोग कर रहे हैं, जिससे दिल्ली जल बोर्ड को राजस्व हानि होती है और सीवरेज प्रबंधन भी प्रभावित होता है.
अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह बिजली बिल का उपयोग अक्सर संपत्ति पंजीकरण में प्रमाण के तौर पर किया जाता है, उसी तरह जल बिल को भी प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है. इससे सुनिश्चित होगा कि किसी संपत्ति के विक्रय या खरीद के समय जल बकाया चुकता हो और कनेक्शन नियमित हो.
सीवरेज नेटवर्क विस्तार की योजना
दिल्ली की लगभग 1,800 अनधिकृत कॉलोनियों में से केवल 1,200 के पास ही सीवर लाइन की सुविधा है. हाल ही में जल मंत्री परवेश वर्मा ने घोषणा की थी कि वर्ष 2027 तक सभी अनधिकृत कॉलोनियों को सीवर नेटवर्क से जोड़ा जाएगा और 40 विकेंद्रीकृत एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाए जाएंगे.
डीजेबी के एक अधिकारी ने कहा, “अगर संपत्ति दस्तावेजों में जल बिल दिखाना अनिवार्य कर दिया जाए, तो इससे अधिक लोग औपचारिक कनेक्शन लेंगे. इससे नेटवर्क का उपयोग बेहतर होगा और बिना उपचारित कचरे के यमुना में जाने की मात्रा घटेगी.” यह प्रस्ताव संपत्ति खरीद-फरोख्त के दौरान जल बिल से जुड़े विवादों को भी कम करेगा. जल बिल अनिवार्य करने से पारदर्शिता आएगी और भविष्य में उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकेगा.
50 प्रतिशत से अधिक पानी से नहीं हो रही आय
वर्तमान में डीजेबी लगभग 50–52 प्रतिशत “नॉन-रेवेन्यू वॉटर” (NRW) की रिपोर्ट करता है, यानी आधे से ज्यादा ट्रीटेड पानी से कोई आय नहीं होती — या तो चोरी, लीकेज या बिना बिलिंग के उपयोग के कारण. अधिकारियों को उम्मीद है कि संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया के जरिए जल उपयोग को औपचारिक बनाकर इस आंकड़े को काफी हद तक घटाया जा सकता है.
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो यह दिल्ली के जल ढांचे को मजबूत करने और डीजेबी की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा नीति परिवर्तन होगा.