तिहाड़ जेल में जियो 4 जी सिग्नल को रोकने में अक्षम : प्रशासन ने अदालत को बताया

अपराधी ने पत्र में आरोप लगाया था कि जेल प्रशासन कई प्रकार की अवैध गतिविधियों में संलिप्त है जिनमें जबरन वसूली, मोबाइल फोन , मादक पदार्थ तथा अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की आपूर्ति शामिल है.

अपराधी ने पत्र में आरोप लगाया था कि जेल प्रशासन कई प्रकार की अवैध गतिविधियों में संलिप्त है जिनमें जबरन वसूली, मोबाइल फोन , मादक पदार्थ तथा अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की आपूर्ति शामिल है.

author-image
Ravindra Singh
New Update
Delhi High Court

दिल्ली उच्च न्यायालय( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

जेल प्रशासन ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उनके पास जो तकनीक है उसकी मदद से तिहाड़ जेल के भीतर मोबाइल सिग्नल , खासतौर से जियो 4 जी सिग्नल को रोका नहीं जा सकता और कैदियों के गैर कानूनी संवाद को रोकने के लिए प्रशासन ने सरकारी सी डॉट कंपनी से जैमर का प्रोटोटाइप विकसित करने को कहा है. आजीवन कारावास की सजा पाए एक अपराधी की ओर से पत्र मिलने के बाद उच्च न्यायालय खुद से संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था. अपराधी ने पत्र में आरोप लगाया था कि जेल प्रशासन कई प्रकार की अवैध गतिविधियों में संलिप्त है जिनमें जबरन वसूली, मोबाइल फोन , मादक पदार्थ तथा अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की आपूर्ति शामिल है.

Advertisment

पत्र में आगे यह भी आरोप लगाया गया है कि कैदियों को जेल प्रशासन द्वारा जानवरों की तरह प्रताड़ित किया जाता है. 2018 में यह पत्र मिलने के बाद अदालत ने एक जज से आरोपों की जांच करने और रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. अप्रैल 2019 में दाखिल अपनी रिपोर्ट में जज ने अदालत को सूचित किया कि जेल के भीतर प्रतिबंधित पदार्थो की आपूर्ति के आरोप सही पाए गए . साथ ही विभिन्न कैदियों के बयानों से यह भी साबित हुआ कि हर रोज एक घंटे की रिहाई के मूल अधिकार को प्रदान करने के लिए कैदियों से पैसा वसूला जाता है. मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायाधीश सी हरि शंकर की पीठ ने मंगलवार को सुनवाई की.

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने रिपोर्ट के हवाले से अदालत को बताया कि जबरन वसूली रैकेट में शामिल अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जा चुकी है. जेल के भीतर मोबाइल फोनों के अवैध इस्तेमाल की समस्या से निपटने के लिए वकील ने अदालत को बताया कि जेल प्रशासन जैमर जैसे आधुनिक तकनीकी उपायों की संभावना तलाश रहा है. उन्होंने बताया, इलैक्ट्रोनिक्स कोरपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड द्वारा उपलब्ध कराए गए जैमर के परीक्षण के दौरान पाया गया कि जेल में मोबाइल सिग्नल, खासतौर से जियो 4 जी के सिग्लन को प्रभावी तरीके से नहीं रोका जा सकता है. इसके बाद सी डाट से संपर्क किया गया. 

Source : Bhasha

Delhi High Court Court administration Tirhar jail Jio 4G Signal
      
Advertisment