Acharya Balkrishna: 'पूरी दुनिया ने स्वीकार किया योग', वर्ल्ड बुक फेयर में बोले आचार्य बालकृष्ण

Acharya Balkrishna: पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने वर्ल्ड बुक फेयर के दौरान एक कार्यक्रम में आयुर्वेद और योग के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने योग को स्वीकार किया है.

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Suhel Khan
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Acharya Balkrishna 9 Feb

आचार्य बालकृष्ण

Acharya Balkrishna: दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे वर्ल्ड बुक फेयर के दौरान भारत मंडपम में आयोजित एक कार्यक्रम में पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने भी शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि, वर्ल्ड बुक फेयर जैसे आयोजन जनोपयोगी हैं. आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ऐसे आयोजनों से ही विश्वस्तरीय ज्ञानपरक साहित्य सुलभ हो पाता है. उन्होंने कहा कि पतंजलि ने योग-आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई है.

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योग को लेकर क्या बोले आचार्य बालकृष्ण?

कार्यक्रम के दौरान योग के विषय पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि, ये गौरव की बात है कि आज पूरे विश्व में योग को स्वीकार किया जा रहा है. पूरे विश्व में विभिन्न भाषा-भाषी लोग समान रूप से किसी शब्द के अर्थ को जानते हैं तो वह योग है. उन्होंने कहा कि योग के व्यापक गहन अर्थ को न भी जानते हों तो वह इतना तो जानते हैं कि यह कुछ ब्रिदिंग एक्सरसाइज, फिजिकल एक्सरसाइज, कुछ आसन, प्राणायाम के विषय में है.

आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेद के बारे में कहा कि आयुर्वेद को आयुर्वेद के रूप में स्थापित करने के लिए वैश्विक स्तर पर जो कार्य होना चाहिए थे वह नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद अपने आप में सम्पूर्ण विज्ञान है. आयुर्वेद स्वतंत्र है तथा इसकी किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं है.

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि दैनिक जीवन में एलोपैथी सिंथेटिक औषधी के रूप में है. आयुर्वेद हमारे जीवन में रचा-बसा है जबकि एलोपैथी मजबूरी है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को यदि औषधि विज्ञान या जड़ी-बूटी के रूप में व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें तो इसके लिए और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति के अनुरूप पदार्थों का उपयोग करते हुए प्रकृति के अनुकूल जीवन यापन की कोशिश करनी चाहिए.

आचार्य बालकृष्ण ने आगे कहा कि पतंजलि ने वर्ल्ड हर्बल इंसाइक्लोपीडिया के रूप में एक महाग्रंथ का प्रकाशन किया है, जिसमें 32 हजार औषधीय पौधों का सचित्र वर्णन है. उन्होंने कहा कि इससे पहले केवल 12 हजार औषधीय पौधों की जानकारी ही उपलब्ध थी. इसके अतिरिक्त हमने आयुर्वेद आधारित पुस्तक सौमित्रेयनिदानम् का प्रकाशन किया. जिसके द्वारा हमने संसार में पनप रहे नए रोग, नए विकार, नई व्याधियों का नवायुगाचार के अनुरूप स्वरूप, लक्षण और निदान सचित्र प्रस्तुत कर एक चूनौतिपूर्ण कार्य किया है.

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि इसमें शरीर संरचना के आधार पर 14 खण्डों में विभाजित करते हुए 6821 श्लोकों में 471 मुख्य व्याधियों सहित लगभग 500 व्याधियों का सचित्र वर्णन किया गया है. इसके साथ ही ग्रन्थ के माध्यम से आयुर्वेद की परम्परा में पहली बार 2500 से भी अधिक चिकित्सकीय अवस्थाओं (Clinical Conditions) का वर्णन किया गया है.

पतंजलि के स्वदेशी उत्पादों के बारे में क्या बोले आचार्य बालकृष्ण?

वहीं पतंजलि के स्वदेशी उत्पादों के विषय में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि के उत्पाद इस तरह से बनाए जाते हैं कि उनका उपभोग हमारा परिवार कर रहा है. इसीलिए हमारे उत्पादों की गुणवत्ता और शुद्धता के सभी मापदण्डों पर खरे रहते हैं. हमारे लिए देश व्यापार नहीं, परिवार है. इसके साथ ही आचार्य बालकृष्ण ने सभी उत्पादक कम्पनियों से आह्वान किया कि वे जो भी उत्पाद बनाएं अपने परिवार को ध्यान में रखते हुए बनाएं.

आचार्य बालकृष्ण ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप स्वयं या देश के लिए जो भी कार्य कर रहे हैं वह केवल आज के लिए न करें, बल्कि यह सोचकर करें कि उस कार्य का लाभ उन्हें भविष्य में किस प्रकार मिल सकता है. उन्होंने कहा कि हमने पतंजलि के माध्यम से योग, आयुर्वेद, शिक्षा, चिकित्सा, अनुसंधान, प्राचीन पाण्डुलिपि आधारित ग्रंथ तथा प्रेरणादायक आध्यात्मिक पुस्तकों का प्रकाशन किया है. इसके साथ ही भारतीय शिक्षा बोर्ड के अन्तर्गत स्वदेशी शिक्षा व्यवस्था की नींव रखते हुए कक्षा-1 से कक्षा-10 तक के पाठ्यक्रम का प्रकाशन भी किया जा रहा है.

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