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दो महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना की खामियों पर अदालत ने केंद्र और एम्स से मांगा जवाब

न्यायाधीश नवीन चावला ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक और एम्स को एक नाबालिग द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किए.

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो बड़ी स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं में खामियों का दावा करने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान : एम्स : से जवाब मांगा है. याचिका में दावा किया गया है कि राष्ट्रीय आरोग्य निधि और आयुष्मान भारत योजना में खामियों के चलते जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को उपचार के लिए आर्थिक लाभों से वंचित रखा गया . न्यायाधीश नवीन चावला ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक और एम्स को एक नाबालिग द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किए. यह नाबालिग गंभीरश्रेणी के एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित है और इसे बॉन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत है जो कि इस गंभीर बीमारी का एकमात्र जीवनरक्षक उपचार है.

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अदालत ने प्रशासन से जवाब मांगते हुए मामले को आगे की सुनवाई के लिए 16 जनवरी की तारीख तय कर दी. अपनी मां के जरिए दायर की गई याचिका में बिहार निवासी एक 11 वर्षीय बच्चे ने अदालत से एम्स को यह निर्देश दिए जाने की अपील की है कि वह बॉन मैरो ट्रांसप्लांट से उसका इलाज करे जिस पर करीब 12 लाख रूपये का खर्चा आएगा. वकील गौरव कुमार बंसल ने बच्चे का पक्ष रखते हुए अदालत से स्वास्थ्य मंत्रालय को यह निर्देश दिए जाने की भी अपील की कि वह योजना की उन खामियों को दूर करे जो घातक बीमारी से जूझ रहे उस जैसे मरीजों को राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना के तहत प्रदत्त लाभ हासिल करने से रोकती है. आयुष्मान भारत योजना के तहत न तो बॉन मैरो ट्रांसप्लांट को कवर किया जाता है और न ही नियम याचिकाकर्ता को राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना का लाभ हासिल करने की अनुमति देता है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इसके अभाव में बच्चे के पास सिवाय मौत के कोई विकल्प नहीं बचता है. 

Source : Bhasha

AIIMS Supreme Court Health Scheme
      
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