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police stations of Delhi Photograph: (Social Media)
दिल्ली में पुलिस अधिकारियों को अदालत में गवाही देने के लिए अब बार-बार कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने होंगे. उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने सभी पुलिस थानों को “नामित स्थल” (Designated Place) घोषित करने की मंजूरी दे दी है, जहां से पुलिसकर्मी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में साक्ष्य प्रस्तुत कर सकेंगे. यह कदम दिल्ली पुलिस के समय और संसाधनों की बड़ी बचत करेगा और पुलिस के कार्य में पारदर्शिता लाएगा.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं स्थापित करने के निर्देश
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यह सुधार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) के अंतर्गत तैयार मसौदा मॉडल नियम न्याय श्रुति (Nyaya Shruti) के अनुरूप है, जिसमें पुलिस थानों को पुलिसकर्मियों की गवाही के लिए “नामित स्थल” के रूप में शामिल करने की सिफारिश की गई थी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जो तीनों नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन पर लगातार नजर रखे हुए हैं, ने भी पुलिसकर्मियों की गवाही वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कराने पर जोर दिया था. उन्होंने हालिया समीक्षा बैठक में पर्याप्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं स्थापित करने के निर्देश दिए थे, साथ ही स्पष्ट किया था कि गवाह (पुलिसकर्मी नहीं) की जिरह पुलिस थानों से नहीं की जाएगी.
226 पुलिस थानों को “नामित स्थल” घोषित करने की सिफारिश
दिल्ली पुलिस ने इस प्रस्ताव के तहत अपने सभी 226 पुलिस थानों को “नामित स्थल” घोषित करने की सिफारिश की थी, जिसे गृह विभाग (जीएनसीटीडी) ने उपराज्यपाल को भेजा और मंजूरी मिल गई. इन 226 थानों में शामिल हैं —
• क्षेत्रीय थाने: 179
• मेट्रो थाने: 16
• साइबर थाने: 15
• रेलवे थाने: 08
• क्राइम ब्रांच: 02
• आईजीआई एयरपोर्ट: 02
• आर्थिक अपराध शाखा (EOW): 01
• स्पेशल सेल: 01
• महिला अपराध शाखा (CAW सेल): 01
• विजिलेंस: 01
अदालतों में भीड़ कम होगी
वर्तमान में दिल्ली में रोजाना लगभग 2000 पुलिसकर्मी विभिन्न अदालतों में गवाही देने के लिए जाते हैं. नए प्रावधान से अब उन्हें यह प्रक्रिया अपने थानों से ही पूरी करने की सुविधा होगी, जिससे अदालतों में भीड़ कम होगी और पुलिसकर्मी अपने शेष समय को जांच और अन्य कानून-व्यवस्था से जुड़ी जिम्मेदारियों में लगा सकेंगे.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की सुविधा
इससे पहले, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की सुविधा केवल दिल्ली उच्च न्यायालय, जिला अदालतों, दिल्ली की जेलों, अस्पतालों, फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी और कुछ सरकारी कार्यालयों तक सीमित थी. यह कदम न केवल पुलिस के कार्य में तेजी लाएगा, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को भी अधिक सुगम और पारदर्शी बनाएगा.