भारत-चीन के बीच कम होने लगा तनाव, डिवीजनल कमांडर की बैठक होगी आज

भारत और चीन की सेनाओं ने सीमा पर गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के अपने संकल्प को प्रदर्शित करते हुए पूर्वी लद्दाख के कुछ गश्त बिंदुओं से “सांकेतिक वापसी” के तौर पर अपने सैनिकों को वापस बुलाया है.

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Yogendra Mishra
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प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

भारत और चीन की सेनाओं ने सीमा पर गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के अपने संकल्प को प्रदर्शित करते हुए पूर्वी लद्दाख के कुछ गश्त बिंदुओं से “सांकेतिक वापसी” के तौर पर अपने सैनिकों को वापस बुलाया है. वहीं, इस मुद्दे पर दोनों पक्ष बुधवार को एक और दौर की मेजर जनरल स्तर की वार्ता करने वाले हैं. मामले के बारे में जानकारी रखने वालों ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि गलवान घाटी, पैंगोंग सो, दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक जैसे इलाकों में दोनों सेनाओं का आक्रामक रुख बरकरार है और आने वाले कुछ दिनों में इस गतिरोध को खत्म करने का समाधान तलाशने के लिये बातचीत के कई दौर होंगे.

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सैन्य सूत्रों ने कहा कि चीनी और भारतीय सेनाओं ने गलवान घाटी के दो गश्त क्षेत्रों 14 और 15 तथा हॉट स्प्रिंग के एक गश्त क्षेत्र से अपने कुछ सैनिक वापस बुलाने शुरू किये हैं. चीनी पक्ष दोनों इलाकों में लगभग डेढ़ किलोमीटर तक पीछे हट गया है. हालांकि, सैनिकों की वापसी के संदर्भ में रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इस मामले पर चीन की तरफ से भी कोई जानकारी नहीं दी गई है.

सूत्रों ने कहा कि चीनी और भारतीय दोनों सेनाएं इन तीन इलाकों से कुछ सैनिकों को वापसी बुला रही हैं और अस्थायी ढांचों को हटा रही हैं. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, “यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है.” मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि दोनों पक्षों में छह जून को हुई उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के दौरान “सांकेतिक वापसी” के लिये सहमति बनी थी जिससे दोनों तरफ यह मामले के समाधान के लिये सकारात्मक संदेश जाए कि और इसे वास्तविक तरीके से सैनिकों की वापसी के तौर पर नहीं लेना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि गलवान घाटी इलाके में अब भी चीनी सैनिक बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जिसको लेकर भारत ने आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा कि दोनों देश क्षेत्र में तनाव और कम करने के लिये बुधवार को मेजर जनरल स्तरीय बातचीत के अलावा छह जून को उच्च स्तरीय बैठक में बनी सहमति के मुताबिक वार्ता प्रक्रिया के तहत फील्ड कमांडरों के बीच भी बातचीत होगी. भारतीय और चीनी सैनिकों में पैंगोंग सो इलाके में पांच मई को हिंसक झड़प हुई थी जिसके बाद से दोनों पक्ष वहां आमने-सामने थे और गतिरोध बरकरार था. यह 2017 के डोकलाम घटनाक्रम के बाद सबसे बड़ा सैन्य गतिरोध बन रहा था.

विवाद खत्म करने के लिए अपने पहले गंभीर प्रयास के तहत लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लियु लिन ने छह जून को व्यापक बातचीत की. इससे हालांकि कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका. विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा था कि बैठक “सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक वातावरण” में हुई और दोनों पक्ष इस पर सहमत थे कि इस मुद्दे का “शीघ्र समाधान” दोनों देशों के बीच रिश्तों को और विकसित करने में मदद करेगा.

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चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति कायम रखने और बातचीत के जरिये गतिरोध को सुलझाने पर सहमत हैं. शनिवार की बातचीत से एक दिन पहले दोनों देशों के बीच कूटनीतिक वार्ता हुई और इस दौरान दोनों पक्षों ने सहमति जताई कि “मतभेदों” को शांतिपूर्ण चर्चा और एक दूसरे की संवेदनशीलता व चिंताओं का सम्मान करते हुए हल किया जाएगा. पिछले महीने के शुरू में जब गतिरोध शुरू हुआ तब भारतीय सैन्य नेतृत्व ने यह फैसला किया था कि भारतीय सैनिक पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के आक्रामक रवैये के खिलाफ दृढ़ रुख अपनाएंगे.

सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा के अपने पिछले अड्डों पर तोप, युद्धक वाहन और भारी सैन्य उपकरण बढ़ाकर रणनीतिक साजोसामान का भंडारण बढ़ा रही है. मौजूदा गतिरोध के शुरू होने की वजह पैंगोंग सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत द्वारा एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण का चीन द्वारा तीखा विरोध है. इसके अलावा गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग को जोड़ने वाली एक और सड़क के निर्माण पर चीन के विरोध को लेकर भी गतिरोध है.

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पैंगोंग सो में फिंगर क्षेत्र में सड़क को भारतीय जवानों के गश्त करने के लिहाज से अहम माना जाता है. भारत ने पहले ही तय कर लिया है कि चीनी विरोध की वजह से वह पूर्वी लद्दाख में अपनी किसी सीमावर्ती आधारभूत परियोजना को नहीं रोकेगा. दोनों देशों के सैनिक गत पांच और छह मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो क्षेत्र में लोहे की छड़ और लाठी-डंडे लेकर आपस में भिड़ गए थे. उनके बीच पथराव भी हुआ था. इस घटना में दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे.

पांच मई की शाम को चीन और भारत के 250 सैनिकों के बीच हुई यह हिंसा अगले दिन भी जारी रही. इसके बाद दोनों पक्ष ‘‘अलग’’ हुए. इसी तरह की एक घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास लगभग 150 भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे. भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर विवाद है.

Source : Bhasha

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