राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वाहनों की आयु सीमा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. भारत का सर्वोच्च न्यायालय इस बात पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है कि क्या BS-VI उत्सर्जन मानकों का पालन करने वाले वाहनों पर मौजूदा 10 साल (डीजल) और 15 साल (पेट्रोल) की परिचालन सीमा लागू होनी चाहिए. इस महत्वपूर्ण केस की 28 जुलाई को होनी है.
क्यों हो रही है यह सुनवाई?
प्रदूषण नियंत्रण के लिए, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने 2015 में दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था. 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था, जिससे यह नियम प्रभावी हो गया. हालांकि, याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि आधुनिक BS-VI वाहन बहुत कम प्रदूषण करते हैं. उनका मानना है कि इन वाहनों पर भी पुरानी परिचालन सीमा लागू करना, प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्य का उल्लंघन नहीं करता है, बल्कि यह अनावश्यक प्रतिबंध है.
दिल्ली सरकार का हालिया कदम और फिर रोक
दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली सरकार की रेखा गुप्ता सरकार ने एक आदेश जारी किया था, जिसके तहत 1 जुलाई, 2025 से पुराने वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं दिया जाना था. लेकिन, जनता के भारी विरोध के बाद इस निर्देश पर रोक लगा दी गई. यह घटनाक्रम दिखाता है कि पुराने वाहनों से जुड़े नियमों को लेकर जनता में काफी संवेदनशीलता और चिंताएं हैं.
आगे क्या?
सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला दिल्ली-एनसीआर में लाखों वाहन मालिकों और ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए महत्वपूर्ण होगा. यदि सुप्रीम कोर्ट BS-VI वाहनों को इन सीमाओं से छूट देता है, तो यह प्रदूषण नियंत्रण के साथ-साथ वाहनों के उपयोग और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डालेगा.इस के लिए 28 जुलाई का इंतजार करना होगा.