SC: ‘आपने मस्जिद की सुनवाई तो तुरंत कर ली थी’, दिल्ली के मंदिरों के मामले सुनवाई से इनकार करने पर वकील की दलील

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के तीन मंदिरों पर बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुनवाई करने से इनकार कर दिया. उन्होंने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा.

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Jalaj Kumar Mishra
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Supreme Court File

Supreme Court (file)

दिल्ली के तीन मंदिरों पर बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुनवाई करने से Supreme Court ने मना कर दिया. इस पर वकील ने दलील दी कि आपने मस्जिद पर बुलडोजर कार्रवाई के मामले में तुरंत सुनवाई की और उसे तुरंत रोक दिया था. मंदिरों के मामले में सर्वोच्च न्यायलय ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे दिल्ली हाईकोर्ट जाएं. 

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ये है पूरा मामला

दरअसल, पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेज-2 के तीन मंदिरों (अमरनाथ मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर और पूरबो दिल्ली कालीबारी) को धवस्त किया जाना था. रात नौ बजे मंदिरों पर नोटिस चिपकाया गया और सुबह 500 से अधिक पुलिसकर्मियों के साथ प्रशासन बुलडोजर लेकर मौके पर पहुंच गया. मामले में दिल्ली के तीन मंदिरों पर बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में देर रात ही याचिका दायर कर दी गई. विशेष अनुरोध पर याचिका को तीन जजों की बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.   

बेंच के अध्यक्ष जस्टिस विक्रम नाथ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन से दोपहर दो बजे सुनवाई कपने की बात की. उन्होंने कहा कि वे अपनी याचिका की कॉपी दिल्ली विकास प्राधिकरण के वकील को भी दे दें, जिससे वह मामले में पक्ष रख सकें. हालांकि, थोड़ी ही देर में अपने साथी जजों जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता से बात करने के बाद जस्टिस विक्रम नाथ का रुख बदल गया. उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आपको हाईकोर्ट जाना चाहिए.  

वकील ने दी ये दलील

इस पर वकील ने दलील दी कि दिल्ली के जहांगीरपुरी की एक मस्जिद के खिलाफ होने वाले बुलडोजर एक्शन पर तो सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई की और कार्रवाई को रोक दिया था. इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि दोनों मामले अलग-अलग हैं. इस मामले को हाईकोर्ट में उठाने की गुंजाइश है. 

क्या बोला डीडीए

बुलडोजर एक्शन से पहले डीडीए ने मंदिरों में जो नोटिस चस्पा किया था, उसमें कहा गया था कि 25 अक्टूबर को प्रमुख गृह सचिव की अध्यक्षता में धार्मिक समिति की बैठक हुई थी. बैठक में तय हुआ था कि डीडीए को कानून की सही प्रक्रिया का पालन करके अतिक्रमण किए हुए धार्मिक इमारतों को हटाया जाना चाहिए. इसी बैठक के आधार पर 20 मार्च को कार्रवाई की जा रही है. 

 

Supreme Court
      
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