सर्वोच्च कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के गोकुलपुर गांव में सील किए गए एक परिसर का ताला तोड़ने के लिए भाजपा सांसद मनोज तिवारी को न्यायालय के समक्ष पेश होने के लिए कहा. न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, न्यायमूर्ति अब्दुल एस. नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने तिवारी के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करते हुए उन्हें 25 सितंबर से पहले अदालत के समक्ष पेश होने का आदेश दिया और कहा, "यह जरूरी है कि चुने हुए जनप्रतिनिधि को न्यायालय के आदेश की अवमानना नहीं करनी चाहिए."
कोर्ट ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया
तिवारी द्वारा किए गए इस कार्य को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताते हुए पीठ ने कहा कि यह जानते हुए कि सीलिंग अभियान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के बाद चलाया जा रहा है, "यह एक परेशानी उत्पन्न करने वाला मामला है, जहां संसद के एक सदस्य ने कथित रूप से कुछ परिसरों के सील तोड़ दिए."
कठोर कार्रवाई का आग्रह
सीलिंग मामले में अदालत का सहयोग कर रहे वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने अदालत से सील किए गए परिसरों का ताला तोड़ने के लिए मनोज तिवारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आग्रह किया. निगरानी समिति ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के सदस्य व अन्य लोग, शहर में अवैध निर्माणों के विरुद्ध चलाए गए सीलिंग अभियान में हस्तक्षेप नहीं करने के अदालत के आदेश के बावजूद जानबूझकर न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं. समिति ने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि न्यायालय के आदेश की अवहेलना नहीं की जा सकती है.
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कुमार ने पीठ से कहा, "तिवारी मंगलवार को भी दोबारा गांव गए थे और नगर निगम अधिकारियों द्वारा की गई सीलिंग के विरुद्ध प्रदर्शन किया था." उन्होंने कहा कि पुलिस ने अवैध रूप से ताला तोड़ने के लिए तिवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है. उन्हें आईपीसी की धारा 188 और दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 461 व 465 के तहत नामजद किया गया है.
Source : IANS