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फाइल फोटो
दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि माता-पिता के घर पर बेटे का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा माता-पिता की मर्जी से ही बेटा घर में रह सकता है। पैतृक संपत्ति से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया।
कोर्ट ने कहा, 'माता-पिता अपने बेटे को सौहार्दपूर्ण रिश्ते के चलते लंबे समय तक अपने साथ रहने की अनुमति दे सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वह पूरे जीवन उसका बोझ सहन करें।'
जस्टिस प्रतिभा रानी ने कहा, 'अगर कोई माता-पिता अपनी मेहनत से कोई घर खरीदते हैं तो बेटा चाहे शादी-शुदा हो या फिर अविवाहित उसका उनके घर पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता है। वह सिर्फ उनकी दया पर उनके घर पर रह सकता है।'
Delhi HC: Son, irrespective of marital status,has no legal right to live in self-acquired house of his parents, can stay only at their mercy
— ANI (@ANI_news) November 29, 2016
हाई कोर्ट ने इस संबंध में एक बेटे और उसकी पत्नी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। निचली अदालत ने भी माता-पिता के पक्ष में फैसला दिया था, जिसे इस दंपती ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में माता-पिता ने निचली अदालत को बताया था कि उनके दोनों बेटों और बहुओं ने उनकी जिंदगी खराब की है।
माता-पिता ने इस संबंध में पुलिस से भी शिकायत की थी और पब्लिक नोटिस के जरिए भी बेटों को अपनी प्रॉपर्टी से बेदखल कर दिया था। माता-पिता के आरोपों को नकारते हुए बेटे ने इसके खिलाफ ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने यह दावा भी किया था कि वे भी प्रॉपर्टी में हिस्सेदार हैं क्योंकि इसकी खरीदी और निर्माण में उनका भी योगदान है।
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HIGHLIGHTS
- हाई कोर्ट ने कहा, माता-पिता की मर्जी से ही बेटा घर में रह सकता है
- कोर्ट ने कहा, माता-पिता अपने बेटे को सौहार्दपूर्ण रिश्ते के चलते साथ रहने की अनुमति दे सकते हैं
- एक बेटे और उसकी पत्नी ने हाई कोर्ट में दायर की थी याचिका
Source : News Nation Bureau