प्रकाश जावड़ेकर बोले- CAA पर कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं, विरोध के बाद ममता बनर्जी ने मांगी माफी
जावडेकर ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अवैध घुसपैठ को रोकने का समर्थन करते हुये पूरा देश सीएए के पक्ष में है, वहीं कुछ लोग देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं और पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं.
दिल्ली:
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने संशोधित नागरिकता क़ानून (सीएए) पर जनमत संग्रह कराने के पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सुझाव की निंदा करते हुए कहा है कि उन्हें इसके लिए देश से माफ़ी मांगनी चाहिए. जावडेकर ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अवैध घुसपैठ को रोकने का समर्थन करते हुये पूरा देश सीएए के पक्ष में है, वहीं कुछ लोग देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं और पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं. सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा, ‘‘एक बहुत ही खराब सुझाव बनर्जी की तरफ से आया है, जिसमें जनमत संग्रह की बात कही गयी है.’’
उन्होंने कहा, “देश की जनता ने संसद को चुना और संसद ने सीएए पारित किया है. संसद द्वारा पारित कानून पर संयुक्त राष्ट्र की किसी संस्था को जनमत संग्रह कराने का अख्तियार कैसे हो सकता है. इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है.’’ जावड़ेकर ने कहा, ‘‘संसद से बड़ा फ़ोरम देश में और कोई नहीं है. इससे पहले किसी मुख्यमंत्री ने ऐसी बात नहीं कही. देश इस बात से व्यथित है. यह देश की 130 करोड़ जनता का अपमान है. इसलिए बनर्जी का बयान निंदनीय है और उन्हें देश से माफ़ी माँगनी चाहिए.” उन्होंने सीएए के बारे में स्थिति को स्पष्ट करते हुये कहा कि इस कानून में भारत, पाकिस्तान और बांगलादेश में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार छह अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता का प्रावधान किया है. जावड़ेकर ने दलील दी कि सीएए का दूसरा मकसद अवैध घुसपैठियों को रोकना है, क्योंकि दुनिया का कोई भी देश घुसपैठियों को स्वीकार नहीं कर सकता है.
सीएए में यही दो मुद्दे हैं, दूसरा कोई मुद्दा नहीं है. जावड़ेकर ने कहा, ‘‘यह प्रावधान पहली बार नहीं किया गया है. इससे पहले 2003 में अटल जी की सरकार ने पाकिस्तान से आने वाले हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया था और 2005 में मनमोहन सिंह सरकार में भी इस प्रावधान को आगे जारी रखने के लिये विस्तार दिया गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान सरकार ने सीएए को विस्तार दिया है. यह किसी को देश से निकालने का नहीं बल्कि लोगों को शामिल करने का विषय है. इसलिये हमारी लोगों से अपील है कि गुमराह न हों, हिंसा न करें, देश की एकता मजबूत है.’’
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