सुप्रीम कोर्ट में महिला अधिवक्ता का चौंकाने वाला दावा, गुरुग्राम पुलिस पर यौन उत्पीड़न और मारपीट का आरोप, होगी सुनवाई

जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस एजी मसीह की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले को गंभीरता से लिया है. एफआईआर की एक प्रति पेश करने को कहा

जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस एजी मसीह की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले को गंभीरता से लिया है. एफआईआर की एक प्रति पेश करने को कहा

Mohit Saxena & Mohit Bakshi
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Supreme Court on Vijay Shah

supreme court (Social Media)

एक महिला अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई है, जिसने गुरुग्राम पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में, एक प्रैक्टिसिंग एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, दावा किया है कि गुरुग्राम पुलिस थाने में अधिकारियों ने उनके साथ यौन उत्पीड़न और मारपीट की. यह आरोप 21 मई, 2025 को एक वैवाहिक मामले के सिलसिले में सेक्टर 50 पुलिस स्टेशन जाने के दौरान लगाए गए हैं.

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मामले की गंभीरता 

जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस एजी मसीह की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले को गंभीरता से लिया है. आज सुनवाई के दौरान, बेंच ने महिला अधिवक्ता की ओर से पेश हुए वकील से गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों की ओर से उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की एक प्रति पेश करने को कहा है.

याचिकाकर्ता की मांगें 

याचिकाकर्ता, जो तीस हजारी बार एसोसिएशन की कार्यकारी सदस्य भी हैं ने अपनी याचिका में कई महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं:
 
मामलों का हस्तांतरण: उनके खिलाफ गुरुग्राम पुलिस की ओर से दर्ज किए गए मामलों को किसी स्वतंत्र एजेंसी (जैसे सीबीआई) या दिल्ली पुलिस को हस्तांतरित किया जाए. 

अनुशासनात्मक कार्रवाई: "अवैध हिरासत और दुर्व्यवहार" में शामिल गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.
 
पुलिस सुरक्षा: गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों द्वारा आगे उत्पीड़न, झूठे मुकदमे और शारीरिक नुकसान की आशंका के कारण पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए.

घटना का विवरण (आरोपों के अनुसार)

21 मई, 2025 को, महिला अधिवक्ता अपने एक मुवक्किल के साथ एक वैवाहिक शिकायत दर्ज कराने गुरुग्राम के सेक्टर 50 पुलिस स्टेशन गई थीं. उनके अनुसार, पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर उनके मुवक्किल को शिकायत दर्ज कराने से रोका और उन पर हमला किया. याचिकाकर्ता का दावा है कि पुलिस स्टेशन में:

-- दो पुरुष अधिकारियों ने उनका यौन उत्पीड़न किया.
-- उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखा गया.
-- महिला अधिकारियों ने उनकी पिटाई की.
-- उन्हें पीने के लिए एक "तरल" भी दिया गया, जिसे उन्होंने पीने से इनकार कर दिया.

घटना के बाद, याचिकाकर्ता को गुरुग्राम के एक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन आरोप है कि बिना एमएलसी (मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट) तैयार किए उन्हें वापस लाया गया.

पुलिस और अधिवक्ता के बीच एफआईआर का सिलसिला 

इस घटना के बाद, दोनों पक्षों की ओर से एफआईआर दर्ज की गई हैं. अधिवक्ता द्वारा याचिकाकर्ता ने दिल्ली के तीस हजारी पुलिस पोस्ट में एक लिखित शिकायत दी,    जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद, उन्होंने पुलिस स्टेशन सब्जी मंडी और पुलिस स्टेशन महिला पुलिस स्टेशन में गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं (4(2)/74/75/79/115(2)/126(2)/351(2)/324(4)/3(5)) के तहत एफआईआर दर्ज कराई.

गुरुग्राम पुलिस की ओर से इसके विपरीत, गुरुग्राम के सेक्टर-50 पुलिस स्टेशन में याचिकाकर्ता के खिलाफ भी बीएनएस की धारा 121(1), 132, 221, 351(3) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. अब इस मामले में कल सुनवाई होगी

Supreme Court gurugram police sexual harassment
      
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