लोकसभा चुनाव : शीला दीक्षित ने कहा- 'आप' से गठबंधन नहीं करेगी कांग्रेस, अकेले लड़ेगी चुनाव
उनकी ताजपोशी से पहले दिल्ली के डीडीयू मार्ग पर बने दिल्ली कांग्रेस के मुख्यालय राजीव भवन की सजावट की जा रही है. पूरे परिसर को चमकाया जा रहा है.
नई दिल्ली:
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित आज मकर संक्रांति के एक दिन बाद कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार संभालेंगी. माना जा रहा था कि खरमास के चक्कर में वह पदभार नहीं संभाल रही थीं. पिछले हफ्ते ही उन्हें दिल्ली कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाने की घोषणा हुई थी. उनकी ताजपोशी से पहले दिल्ली के डीडीयू मार्ग पर बने दिल्ली कांग्रेस के मुख्यालय राजीव भवन की सजावट की जा रही है. पूरे परिसर को चमकाया जा रहा है. पुरानी तस्वीरें हटाई जा रही हैं और नए पोस्टर लगाए जा रहे हैं. सुबह शीला दीक्षित ने बताया कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी और अकेले चुनाव मैदान में जाएगी.
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पार्टी सूत्रों का कहना है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन और शीला दीक्षित एक ही कार से राजीव भवन पहुंचेंगे. इससे पहले अजय माकन और तीनों कार्यकारी अध्यक्ष शीला दीक्षित को उनके घर से लेने जाएंगे. इसको बाद तीनों एक ही कार से दिल्ली कांग्रेस के दफ्तर में आएंगे. ऐसा करके एकजुटता दिखाने की पूरी कोशिश की जाएगी. पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि पुरानी और नई टीम में कोई विवाद नहीं है.
शीला दीक्षित की वापसी से पुराने कांग्रेसियों की बांछें खिल गई हैं. माना जा रहा है कि शीला दीक्षित की टीम में नए के अलावा पुराने चेहरों को भी तरजीह दी जाएगी. गौरतलब है कि अजय माकन द्वारा दिल्ली कांग्रेस के पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली की तीन बार सीएम रहीं 80 साल की शीला दीक्षित पर भरोसा जताया है.
जानें शीला दीक्षित का प्रोफाइल
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था. उन्होंने दिल्ली के जीसस एंड मेरी कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षा पाई और दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की थी. उनका विवाह उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुआ था. विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे. शीला एक बेटे और एक बेटी की मां हैं. 1984 से 89 तक वे कन्नौज (उप्र) से सांसद रहीं. इस दौरान वे लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं. वे बाद में केन्द्रीय मंत्री भी रहीं. वे दिल्ली शहर की महापौर से लेकर मुख्यमंत्री भी रहीं. कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भी उन पर सरकारी रकम के गबन के आरोप लगे थे.
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