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Shashi Tharoor
कांग्रेस सांसद शशि थरूर रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थ नीति पर जताई गई आपत्तियों के लिए शर्मिंदा हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि भारत की नीति को लेकर उन्होंने पहले जो आलोचना की थी वह गलत साबित हुई. आज के हालात में ये नीतियां सफल होती नजर आ रही हैं. उन्होंने कहा कि मैं अब भी अपने चेहरे पर लगे दागों को मिटा रहा हूं. उन्होंने कहा कि संसदीय बहस में मैं ही अकेला आदमी था, जिसने फरवरी 2022 में इंटरनेशनल चार्टर और सिद्धांतों के उल्लंघन के आधार पर भारत की स्थिति की आलोचना की थी.
रायसीना डायलॉग में थरूर ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध जब शुरू हुआ, तब उन्होंने भारत के रूख की आलोचना की. मैंने इसे अंतरराष्ट्रीय चार्टर और सिद्धांतों का उल्लंघन बताया था. अब तीन साल बाद महसूस हो रहा है कि भारत की नीति ने देश में को मजबूत स्थिति में खड़ा किया है.
#WATCH | On being asked about India's decision to buy fuel from Russia amid the Russia-Ukraine conflict, Congress MP Shashi Tharoor says, "I am still wiping the egg off my face because I was the one person in the parliamentary debate who had criticised the Indian position in… pic.twitter.com/1rekQNrLIc
— ANI (@ANI) March 19, 2025
भारत की रणनीति ने बढ़ाई कूटनीतिक ताकत
थरूर ने कहा कि भारत की नीति ने ही संभव बनाया है कि हमारे प्रधानमंत्री ने दो सप्ताह के अंदर-अंदर यूक्रेन और रूस के राष्ट्रपति को गले लगा लेते हैं. दोनों ही देश भारत को स्वीकार करता है.
पहले की थी भारत की नीति की आलोचना
बता दें, रूस-यूक्रेन युद्ध जब शुरू हुआ था तब शशि थरूर भारत की रूप के प्रति कूटनीतिक तटस्थता और रूस से तेल खरीदने की नीति के सबसे बड़े आलोचक थे. उन्होंने नैतिक रूप से इसे गलत कहा था. भारत से यूक्रेन पर हमले की उन्होंने खुलकर निंदा की. हालांकि, भारत की इस नीति ने उसे दोनों देशों के साथ दोस्ताना संबंध बनाए रखने में सक्षम बनाया है. थरूर ने कहा कि वे अपनी आलोचनाओं के बारे में गलत निकले और इस बात को उन्होंने स्वीकार किया.
शांतिवार्ता को आगे बढ़ा सकता है भारत
थरूर ने कहा कि भारत का यही रुख उसे वैश्विक शांति प्रक्रिया का अहम खिलाड़ी बनाता है. भारत की स्थिति ऐसी है कि अगर उसे जरूरत पड़ती है तो वह रूस और यूक्रेन के बीच शांतिवार्ता को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.