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शाहीन बाग में  बुलडोजर फेल, आप विधायक अमानतुल्ला खान के खिलाफ एफआईआर

दक्षिणी दिल्ली के बहुचर्चित शाहीन बाग में सोमवार को एमसीडी के अतिक्रमण रोधी अभियान के बाधित होने के कुछ घंटों के बाद दिल्ली पुलिस ने आप विधायक अमानतुल्लाह खान और उनके समर्थकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है.

Updated on: 09 May 2022, 11:22 PM

highlights

  • अवैध निर्माण तोड़ने पहुंचा था एमसीडी का दस्ता
  • लोगों के भारी विरोध के बाद बुलडोजर हुआ वापस
  • सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में केस दर्ज

नई दिल्ली:

दक्षिणी दिल्ली के बहुचर्चित शाहीन बाग में सोमवार को एमसीडी के अतिक्रमण रोधी अभियान के बाधित होने के कुछ घंटों के बाद दिल्ली पुलिस ने सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्लाह खान और उनके समर्थकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. दक्षिण दिल्ली नगर निगम की शिकायत पर आईपीसी की धारा 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना) और 353 (लोक सेवक पर हमला) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

लोगों ने एमसीडी टीम को उल्टे पांव लौटने को किया मजबूर
इससे पहले महिलाओं सहित सैकड़ों लोगों ने अतिक्रमण विरोधी अभियान का विरोध किया. शाहीन बाग, कालिंदी कुंज, जैतपुर, सरिता विहार और मथुरा रोड सहित अन्य स्थानों पर वरिष्ठ अधिकारियों सहित भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में इलाके में बुलडोजर के घुसने से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. इसके बाद एमसीडी की टीम को उल्टे पांव भागना पड़ा.


गौरतलब है कि इस मामले में भारतीय जनता पार्टी ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) आयुक्त से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के उन राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है, उन्होंने सोमवार को शाहीन बाग में कथित अतिक्रमण अभियान को बाधित किया. स्थानीय लोगों के विरोध के बाद अभियान रोके जाने के बाद दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने एसडीएमसी आयुक्त को पत्र लिखकर ये मांग की है. वहीं, भाजपा के विवादित नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि शाहीन बाग जैसी जगहों पर कानून का राज नहीं लगाया जा रहा है.

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इससे पहले दिन में सुप्रीम कोर्ट ने इलाके में इमारतों को गिराए जाने के खिलाफ माकपा की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था. याचिकाकर्ता को इस मामले पर दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा था. शीर्ष अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वह किसी भी मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है और इसमें कदम रखने के लिए कानून का उल्लंघन करने की आवश्यकता है.