सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के आरोपी एक पूर्व एमएलए को इलाज के नाम पर अस्पताल में शरण देने के मामले में गुड़गांव के एक निजी हॉस्पिटल के दो डॉक्टरों को 70-70 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया हैं।
दोनों डॉक्टरों को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जून तक यह रकम जमा करनी होगी। कोर्ट ने डॉक्टर मुनीष प्रभाकर और के एस सचदेवा को अदालत की अवमानना को दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई हैं।
क्या है पूरा मामला?
मुनीष प्रभाकर और के एस सचदेवा पर आरोप हैं कि उन्होंने हत्या के आरोपी, एक पूर्व विधायक बलबीर सिंह बाली को इलाज के नाम पर एक साल से ज्यादा अस्पताल में रखा, जिससे वह सुप्रीम कोर्ट से जमानत ख़ारिज होने के बावजूद जेल जाने से बच गया। अदालत में दोनों डॉक्टरों ने माफी मांगी है।
इनेलो (भारतीय राष्ट्रीय लोकदल) के पूर्व विधायक बलबीर सिंह बाली के खिलाफ मई 2011 में हत्या का केस दर्ज हुआ था। मार्च 2012 में रोहतक सेशन कोर्ट ने बाली की जमानत याचिका रद्द कर दी।
11 फरवरी 2013 को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से पूर्व विधायक को जमानत मिल गई। जिसके खिलाफ शिकायतकर्ता पूर्व सरपंच ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2013 को हाईकोर्ट से मिली जमानत को रद्द करते हुए बाली को तुरंत सरेंडर करने के आदेश दिए लेकिन पूर्व विधायक ने सरेंडर नहीं किया और बीमारी का बहाना बनाते हुए गुड़गांव के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती हो गए।
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इसके बाद शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी। इस बीच कोर्ट ने पूर्व विधायक को भगोड़ा घोषित कर दिया। बाद में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने भी अपनी रिपोर्ट में माना कि पूर्व एमएलए ने बीमारी का फ़र्जी बहाना बनाया और अस्पताल के डॉक्टरों के साथ सांठ-गांठ कर जेल जाने से बच गया। कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में दोनों डॉक्टरों को अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया था।
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Source : Arvind Singh