केंद्र को SC का आदेश, 3 मई की रात से दिल्ली में ना हो ऑक्सीजन की कमी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये स्टॉक राज्यों को ऑक्सीजन के आवंटित कोटे के अतिरिक्त होगा. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई में जो कमी पड़ रही है उसे 3 मई की रात या उससे पहले ही पूरा कर लिया जाना चाहिए.
highlights
- केंद्र के पास सिर्फ आज दिन भर का समय
- कल से दिल्ली में नहीं होगी ऑक्सीजन की कमी
- सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर नहीं होगी कार्रवाई
नई दिल्ली:
दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों से ऑक्सीजन की भारी कमी की बात सामने आ रही है, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट एक्शन में आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली के लिए हो रही ऑक्सीजन की कमी को दो दिन के अंदर पूरा करे. सरकार सुनिश्चित करें कि 3 मई की आधी रात से दिल्ली में ऑक्सीजन की कोई कमी न हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर 4 दिन के भीतर इमरजेंसी के लिए ऑक्सीजन का बफर स्टॉक तैयार करे. ये स्टॉक एक जगह पर न होकर अलग अलग जगह पर हो.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये स्टॉक राज्यों को ऑक्सीजन के आवंटित कोटे के अतिरिक्त होगा. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई में जो कमी पड़ रही है उसे 3 मई की रात या उससे पहले ही पूरा कर लिया जाना चाहिए. कोर्ट ने केंद्र से ये भी कहा कि चार दिन के अंदर इमरजेंसी स्टॉक्स तैयार कर लिए जाने चाहिए. प्रतिदिन की जो चीजें हैं या राज्यों के लिए ऑक्सीजन सप्लाई की जो नीति है उसे दोबारा से तैयार किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने 10 मई तक मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आपातकालीन स्टॉक को अगले चार दिनों के भीतर तैयार किया जाना चाहिए और ऐसे इंतजाम किए जाने चाहिए, जिससे राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति के मौजूदा आवंटन के अलावा इसे दैनिक आधार पर पुन: भरा जा सके. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह ऑक्सीजन, कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता व मूल्य प्रणाली, आवश्यक दवाएं उचित मूल्य पर मुहैया कराने संबंधी निर्देशों व प्रोटाकॉल का पालन करे और 10 मई को होने वाली अगली सुनवाई में इन सभी मुद्दों पर जवाब दाखिल करे.
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कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया है कि राज्यों के साथ मिलकर ऑक्सीजन के बफर स्टॉक्स तैयार किए जाने चाहिए और इमरजेंसी स्टॉक की लोकेशन का विकेंद्रीकरण करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि केंद्र को अस्पतालों में भर्ती होने की नीति को दो हफ्ते के अंदर तैयार कर लेना चाहिए, जिसे राज्यों द्वारा भी फॉलो किया जाना चाहिए.
सोशल मीडिया पोस्ट पर ना हो कार्रवाई
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सोशल मीडिया पर किसी भी सहायता की मांग या डिलीवरी से जुड़ी कोई जानकारी पोस्ट पर करने पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अगर प्रशासन परेशान करता है तो कोर्ट का सख्त रुख झेलना होगा. देश के किसी भी नागरिक को किसी भी राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेश में स्थानीय पहचान पत्र या किसी भी तरह का पहचान पत्र न होने की सूरत में भी अस्पताल में भर्ती करने या जरूरत दवाइयों देने से नहीं रोका जा सकता. इस आदेश की कॉपी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भेजी जाए.
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