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कांग्रेस ने मोदी सरकार पर लगाया बड़ा आरोप, इस कीमत पर निजी दूरसंचार कंपनियों को बढ़ा दे रही सरकार

कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की कीमत पर निजी दूरसंचार कंपनियों को बढ़ावा दे रही है. इसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि क्या सत्तारूढ़ दल को चुनावी बॉंड के रूप में निजी कंपनियों से

Updated on: 01 Dec 2019, 10:42 PM

दिल्ली:

कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की कीमत पर निजी दूरसंचार कंपनियों को बढ़ावा दे रही है. इसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि क्या सत्तारूढ़ दल को चुनावी बॉंड के रूप में निजी कंपनियों से लाभ मिला है. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि संप्रग- एक और संप्रग- दो सरकारों के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी कंपनियां लाभ में चल रही थीं, लेकिन वे अब घाटे में चल रही हैं.

वहीं, सरकार निजी क्षेत्र की कंपनियों को बढ़ावा दे रही है और राहत प्रदान कर रही है. खेड़ा ने कहा, ‘आप (सरकार) सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से सौतेला और निजी क्षेत्र की कंपनियों से विशेष व्यवहार क्यों कर रहे हैं. मैं मोदी जी से पूछना चाहता हूं कि क्या उनकी पार्टी को निजी कंपनियों से चुनावी बॉंड के रूप में लाभ मिला है.’

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उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई जब वोडाफोन-आइडिया और भारती एअरटेल ने अपनी मोबाइल नेटवर्क सेवा दरों में रविवार को वृद्धि करने की घोषणा की. सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘बदले में कुछ न कुछ लाभ लिया गया होगा. कोई सरकार लाभ में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को क्यों नष्ट करेगी और निजी क्षेत्र की कंपनियों में लाभ को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने का प्रयास क्यों करेगी?’

खेड़ा ने दावा किया कि बीएसएनएल और एमटीएनएल संप्रग-एक और संप्रग-दो सरकारों के तहत सात हजार करोड़ रुपये से अधिक का लाभ अर्जित कर रही थीं, लेकिन पिछले पांच साल से ये 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में चल रही हैं. गीता महोत्सव में कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी के आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा करने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में खेड़ा ने कहा कि यदि भगवद् गीता से संबंधित कोई आयोजन है तो उसमें विभिन्न विचारधाराओं के लोगों को शामिल होने का पूरा अधिकार है.

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उन्होंने कहा, ‘मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता. क्या भगवद् गीता केवल मोहन भागवत और उनके संगठन की है? हम भी उसी हवा में सांस लेते हैं जिसमें मोहन भागवत लेते हैं, तो क्या इसका मतलब यह हो जाता है कि हम मोहन भागवत के विचारों से ताल्लुक रखते हैं.