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पसमांदमा मुस्लिम समाज की बैठक का निर्णय, मुख्यधारा से जुड़ने के लिये PM मोदी का नेतृत्व जरूरी

दिल्ली के मुस्लिम बहूल्य इलाक़े जामियानगर में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष आतिफ रशीद की अध्यक्षता में पसमांदा मुस्लिम समाज की एक बैठक  हुई इस बैठक में पसमांदा मुस्लिम समाज के गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया गया

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Mohit Sharma
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Pasmanda Muslim society

Pasmanda Muslim society ( Photo Credit : News Nation)

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दिल्ली के मुस्लिम बहूल्य इलाक़े जामियानगर में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष आतिफ रशीद की अध्यक्षता में पसमांदा मुस्लिम समाज की एक बैठक  हुई इस बैठक में पसमांदा मुस्लिम समाज के गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया गया। बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें पसमांदा मुस्लिम समाज के सामने मुंह बाए खड़ी चुनौतीयों पर भी चर्चा हुई, और देश की वर्तमान परिस्थितियों पर भी गंभीरता से चर्चा की गई अधिकांश पसमांदा संगठन केवल चुनाव के समय ही बाहर आते हैं और सिर्फ चुनाव में हिस्सेदारी की बात करते हैं जिससे की पसमांदा मुसलमानों के मूल मुद्दे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और आर्थिक बराबरी जैसे अहम  मुद्दे पीछे छूट जाते हैं, और पसमांदा मुस्लिम समाज नाम  सिर्फ वोट बैंक बनकर रह जाता है देश के अधिकतर राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक में भाजपा की है, जबकि बिहार में भाजपा के सहयोगी दल की सरकार है इसलिए इन सरकारों के माध्यम से पसमांदा मुस्लिम समाज के मुद्दों को हल किया जा सकता है।

आतिफ रशीद ने पसमांदा मुस्लिम समाज से सवाल किया कि आखिर पसमांदा मुस्लिम समाज कब तक राजनीति का शिकार होता रहेगा (पसमांदा मुस्लिम समाज) कुछ लोगों को विधायक और सांसद बनाने के लिए अपना वोट का इस्तेमाल करें या अपने बच्चों के शिक्षा और रोज़गार के लिए वोट करें? यह पसमांदा मुस्लिम समाज को तय करना होगा आने वाले दिनों में पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रमुख लोगों की देश भर में बैठक होगी और मिलकर समाज का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया जाएगा। जिसके तहत केंद्र सरकार और राज्य सरकार से सहयोग लेकर अति पसमांदा मुस्लिम समाज के घर-घर को जोड़कर उन्हें भी राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया जाएगा। बैठक में शामिल होने आए पसमांदा मुस्लिम समाज के लोगों ने एक सुर में कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद ओबीसी समाज से आते हैं इसलिए वह और ज़्यादा बेहतर तरीके से पसमांदा समाज के दर्द को समझ सकते हैं।

Source : Rumman Ullah Khan

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