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ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मामला: दिल्ली की अदालत ने नवनीत कालरा को जमानत दी

दिल्ली पुलिस ने अदालत में कालरा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उसका इरादा कमजोर स्थिति में लोगों को धोखा देना और लाभ कमाना था.

Updated on: 29 May 2021, 07:15 PM

highlights

  • ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मामले में गिरफ्तार कारोबारी नवनीत कालरा को जमानत मिली
  • कालरा को 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई. इतनी ही राशि की दो जमानतें
  • अदालत ने जमानत देते हुए उस पर शर्तें लगाईं, जब भी आवश्यकता होगी वह जांच में शामिल होगा

नई दिल्ली:

दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कथित जमाखोरी के एक मामले में गिरफ्तार कारोबारी नवनीत कालरा को जमानत दे दी. न्यायाधीश अरुण कुमार गर्ग ने कालरा को निर्देश दिया कि वह किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क न करें, जिसे उसने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बेचे हों. दिल्ली पुलिस ने अदालत में कालरा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उसका इरादा कमजोर स्थिति में लोगों को धोखा देना और लाभ कमाना था. अदालत ने जमानत देते हुए उस पर तीन शर्तें लगाईं, वह मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा, गवाहों को प्रभावित करने का कोई प्रयास नहीं करेगा और जब भी आवश्यकता होगी वह जांच में शामिल होगा.

कालरा को 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई

कालरा को 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई. इतनी ही राशि की दो जमानतें. पुलिस ने चिकित्सा उपकरण टेस्टिंग प्रयोगशाला की रिपोर्ट का हवाला दिया और तर्क दिया कि जब्त ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बेकार थे और वास्तव में इसका उपयोग करने वालों के लिए हानिकारक थे. अदालत ने इससे पहले मामले में कालरा की पांच दिन की पुलिस हिरासत की मांग वाली दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज कर दी थी.

कालरा के तीन रेस्तरां हैं

कालरा के तीन रेस्तरां - खान चाचा, टाउन हॉल, और नेगे एंड जू - से 524 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जब्त करने के बाद भाग गया था, लेकिन बाद में उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. मैट्रिक्स सेल्युलर कंपनी के सीईओ और उपाध्यक्ष समेत चार कर्मचारियों को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया गया था. कालरा ने मैट्रिक्स सेल्युलर से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे जो उन्हें आयात करता था.

5 मई को कालरा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 120-बी (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया था. आवश्यक वस्तु अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया था.