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हाथीदांत के टावरों में रहने वाले अफसर कोविड के सच से अनजान : दिल्ली हाईकोर्ट

अदालत ने कहा कि सरकार को निर्णय लेने में अधिक तत्पर होना चाहिए, विशेष रूप से स्पुतनिक-V वैक्सीन के निर्माण के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष के साथ पैनासिया बायोटेक के सहयोग से, जिसे एक अवसर के रूप में माना जाना चाहिए.

अदालत ने कहा कि सरकार को निर्णय लेने में अधिक तत्पर होना चाहिए, विशेष रूप से स्पुतनिक-V वैक्सीन के निर्माण के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष के साथ पैनासिया बायोटेक के सहयोग से, जिसे एक अवसर के रूप में माना जाना चाहिए.

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Ravindra Singh
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Delhi High Court

दिल्ली उच्च न्यायालय( Photo Credit : फाइल )

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारी हाथीदांत के टावरों में रह रहे हैं और उन्हें कोविड-19 महामारी की वास्तविक स्थिति की जानकारी नहीं है. जस्टिस मनमोहन और जस्टिस नवीन चावला की पीठ ने चल रही महामारी से संबंधित जमीनी हकीकत से अवगत न होने पर केंद्र की खिंचाई की. महामारी ने बहुत से लोगों की जान ले ली है. अदालत ने कहा कि सरकार को निर्णय लेने में अधिक तत्पर होना चाहिए, विशेष रूप से स्पुतनिक वी वैक्सीन के निर्माण के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) के साथ पैनासिया बायोटेक के सहयोग से, जिसे एक अवसर के रूप में माना जाना चाहिए.

अदालत ने जोर देकर कहा कि सरकार लाखों टीके प्राप्त कर सकती है और यह उस अवसर के लिए एक खिड़की है. महामारी से लड़ने के लिए टीकों की उपयोगिता पर जोर देते हुए, अदालत ने कहा कि अदालतों द्वारा हर दिन केंद्र को फटकार लगाई जाती है, फिर भी वह जाग नहीं रहा है. पीठ ने कहा : "भगवान इस देश को आशीर्वाद दें. ऐसे मामलों में, उच्चतम अधिकारियों से निर्देश लेने होते हैं, और वह भी 30 मिनट के भीतर." अदालत की टिप्पणियां दिल्ली स्थित पैनासिया बायोटेक की एक याचिका की सुनवाई के दौरान आईं, जिसमें जुलाई 2020 के आदेश को संशोधित करने की मांग की गई थी.

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एक नए आवेदन में, फर्म ने धन की आवश्यकता का हवाला देते हुए आर्बिट्रल अवार्ड जारी करने की मांग की, क्योंकि उसने पहले ही आरडीआईएफ के सहयोग से स्पुतनिक वी वैक्सीन के परीक्षण बैचों का निर्माण किया है और स्केल-अप बैचों के निर्माण की प्रक्रिया जारी है. वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी द्वारा प्रतिनिधित्व की गई कंपनी ने कहा, यदि प्रदान की गई राशि जारी नहीं की जाती है, तो सबसे तेज गति से टीकों के निर्माण की पूरी प्रक्रिया पटरी से उतर सकती है और देरी हो सकती है जो मानवता के बड़े हित में नहीं होगी.

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पीठ ने भारत में टीकों की भारी कमी का हवाला दिया और इस बात पर जोर दिया कि आरडीआईएफ के साथ पैनसिया बायोटेक के सहयोग से भारत को यह सुनिश्चित करने का मौका मिलता है कि निर्मित टीके भारत में बेचे जाते हैं. अदालत ने केंद्र को नोटिस भी जारी किया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 31 मई की तारीख तय की. केंद्र के वकील ने कहा कि स्पुतनिक वी का निर्माण आरडीआईएफ की वैश्विक आपूर्ति के लिए था, और इससे देश को कोई फायदा नहीं हुआ. वकील ने आगे कहा कि याचिका में कुछ भ्रामक बयान दिए गए थे. इस पर सेठी ने जवाब दिया कि सरकार की सहमति के बिना किसी भी निर्मित टीके का निर्यात नहीं किया जा सकता.

HIGHLIGHTS

  • दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र के अधिकारियों को लगाई फटकार
  • हाथीदांत के टावरों में रहने वालों को कोविड की सच्चाई नहीं मालूम
  • दिल्ली में लगातार बढ़ रहे थे कोरोना वायरस संक्रमण के मामले
covid-19 Delhi High Court दिल्ली हाईकोर्ट Delhi COVID Case Delhi Corona Case दिल्ली कोरोना केस Delhi Lockdown दिल्ली लॉकडाउन Ivory Towers HC Scolded Officers
      
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