जम्मू-कश्मीर में जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत सात अगस्त को हिरासत में लिए गए प्रवासी भारतीय (एनआरआई) कारोबारी मुबीन शाह को शनिवार को आगरा जेल से तीन महीने के लिए ‘‘अस्थायी’’ रूप से रिहा कर दिया गया. विवादास्पद पीएसए के तहत आरोपित किए गए शाह संभवत: ऐसे पहले व्यक्ति हैं कि जिन्हें बगैर किसी अदालती निर्देश के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर प्रशासन ने रिहा किया है. पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने और उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के पांच अगस्त के फैसले के बाद शाह को हिरासत में लिया गया था. उनके अलावा वहां कई उद्योगपतियों, नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया गया था.
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के गृह सचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, ‘‘सरकार डॉ मुबीन शाह की अस्थायी तौर पर रिहाई का आदेश देती है. सात दिसंबर 2019 से छह मार्च 2020 तक के लिए...जो (शाह) अभी हिरासत में हैं...यह (अस्थायी रिहाई) जमानत में मौजूद शर्तों के साथ है.’’ आदेश में कहा गया है कि शाह को सात मार्च 2020 को जिला मजिस्ट्रेट श्रीनगर के समक्ष पूर्वाह्न 11 बजे आत्मसमर्पण करना होगा. शाह के आगरा केंद्रीय कारागार से बाहर निकलने पर उनके भाई नियाज ने उनकी अगवानी की, जो उच्चतम न्यायालय में उनकी रिहाई के लिए कानूनी लड़ रहे थे. शाह के परिवार ने उन पर लगाए गए पीएसए को रद्द करने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था.
इस मामले में सुनवाई शुरू होने पर जम्मू कश्मीर प्रशासन बचाव की मुद्रा में आ गया और शाह को रिहा करने का भरोसा दिलाया. मामले की सुनवाई अब नौ दिसंबर के लिए सूचीबद्ध है. गौरतलब है कि शाह के नाम का जिक्र पिछले महीने दक्षिण एशिया मानवाधिकारों पर अमेरिकी संसद की सुनवाई के दौरान आया था. इस सुनवाई के केंद्र में कश्मीर में भारत की कार्रवाई थी. डेमोक्रेटिक पार्टी से भारतीय मूल की नेता प्रमिला जयपाल ने उनकी हिरासत का मुद्दा उठाया था. मलेशिया में रहने वाले शाह का वहां (मलेशिया में) दस्तकारी का कारोबार है. वह कश्मीर चैम्बर ऑफ कॉमर्स के प्रमुख भी रह चुके हैं. वह इस साल मई में मलेशिया से कश्मीर आए थे.
Source : Bhasha