नीलगिरी में किसी को भी हाथियों के लिए परेशानी खड़ी करने नहीं देंगे : न्यायालय

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, ‘‘हम नाजुक पारिस्थितिकी का सामना कर रहे हैं.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, ‘‘हम नाजुक पारिस्थितिकी का सामना कर रहे हैं.

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Sushil Kumar
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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि मौजूदा ‘‘नाजुक पारिस्थितिकी’’ को देखते हुए वह किसी को भी तमिलनाडु के नीलगिरी में हाथियों के गलियारे में परेशानी उत्पन्न नहीं करने देगा. इसके साथ ही अदालत ने उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित करने का फैसला किया जो सील किये गये होटलों एवं रिजॉर्ट के मालिकों के दावों पर विचार करेगी. न्यायालय ने नौ अगस्त 2018 को नीलगिरी के जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया था जिसमें उन्होंने तमिलनाडु सरकार से पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हाथियों के गलियारे में बनाए गए होटल और रिजॉर्ट सहित 27 व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को सील करने को कहा था.

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प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, ‘‘हम नाजुक पारिस्थितिकी का सामना कर रहे हैं. अगर हाथियों के गलियारे में अवैध गतिविधियों को रोका नहीं गया तो ये हाथी जल्द ही विलुप्त हो जाएंगे.’’ पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति गठित करेगी जो नीलिगिरी इलाके का निरीक्षण करेगी और यह निर्धारित करेगी कि कौन से होटल या रिजॉर्ट अधिकृत हैं या अनिधिकृत हैं ताकि ऐसे प्रतिष्ठानों के मालिकों को मुआवजे पर विचार किया जा सके. न्यायालय ने सलमान खुर्शीद, अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल एएनएस नाडकर्णी सहित वरिष्ठ वकीलों को समिति के लिए सोमवार को न्यायाधीशों और पर्यावरणविदों के नाम देने को कहा. 

Source : Bhasha

Supreme Court Elephant Chief Justice
      
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