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पवन जल्लाद ने निर्भया के दरिंदों को फांसी देकर बनाया ये बड़ा रिकॉर्ड, पिता-दादा का यह सपना किया पूरा

निर्भया केस (Nirbhaya Case) में 20 मार्च सुबह 5.30 बजे चारों दोषियों को फांसी दे गई है. दिल्ली की तिहाड़ जेल में दोषियों को फांसी के तख्ते पर लटकाया गया है.

Updated on: 21 Mar 2020, 06:49 PM

नई दिल्ली:

निर्भया केस (Nirbhaya Case) में 20 मार्च सुबह 5.30 बजे चारों दोषियों को फांसी दे गई है. दिल्ली की तिहाड़ जेल में दोषियों को फांसी के तख्ते पर लटकाया गया है. जल्लाद पवन (pawan jallad) ने चारों दोषियों को फांसी देकर एक रिकॉर्ड बना दिया है. क्योंकि, तिहाड़ जेल में इससे पहले एक साथ चार फांसी नहीं दी गई थी. पवन जल्लाद ने मीडिया को उस पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया.

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पवन जल्लाद चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने के बाद खुशी महसूस कर रहे

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पवन जल्लाद चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने के बाद खुशी महसूस कर रहे हैं. फांसी के बाद जल्लाद पवन ने मीडिया को बताया कि मैंने चार लोगों को एक साथ फांसी देकर पिता और दादा का सपना पूरा किया है. उनका कहना है कि मैंने निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देकर अपना धर्म निभाया है. हमारा यह पुश्तैनी काम है. पवन ने यह भी बताया कि फांसी होने से पहले दोषियों को अपने किए पर कोई पश्चाताप नहीं था.

इससे पहले पवन जल्लाद दोषियों को दो बार फांसी देने मेरठ से दिल्ली आ चुके थे, लेकिन कानूनी दांव पेंच के चलते फांसी बार-बार टल रही थी, जिससे उन्हें वापस लौटना पड़ा था. लेकिन, शुक्रवार को दोषियों की फांसी हो गई. पवन जल्लाद मेरठ से तीसरी बार दिल्ली पहुंचे थे. उन्हें दो दिन पहले फिर से बुलाया गया था.

अक्षय और मुकेश को सबसे पहले फांसी घर लाया गया: पवन

पवन जल्लाद ने कहा कि फांसी वाले दिन तड़के दोषियों के हाथ बांधकर फंदे तक लाया गया. अक्षय और मुकेश को सबसे पहले फांसी घर लाया गया. इसके बाद दोषी पवन और विनय को तख्ते पर ले जाया गया. हर गुनहगार के साथ 5-5 बंदीरक्षक थे. उन लोगों को एक-एक कर तख्ते पर ले जाकर खड़ा किया गया.
इसके बाद चारों दोषियों के फंदे को दो लीवर से जोड़ा गया था. उनके चेहरे पर कपड़ा डालकर सभी के गले में फंदा डाला गया. समय के मुताबिक, जेल अफसर के इशारे पर जल्लाद पवन ने लीवर खींच दिया और उनको फांसी दे दी.

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आपको बता दें कि पवन जल्लाद का फांसी पर लटकाना खानदानी काम है. इससे पहले उनके पिता और दादा फांसी देने का काम करते थे, लेकिन एक साथ 4 को फांसी किसी ने नहीं दी थी. दिलचस्प यह भी है कि पवन ने अभी तक जल्लाद के तौर पर एक भी फांसी नहीं दी थी, लेकिन वे अपने पिता के साथ जरूर ऐसा करने जाया करते थे.