निर्भया केस को लेकर एक दोषी अक्षय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर रिव्यू पिटीशन पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने दोषी के वकील एपी सिंह ने कहा, निर्भया केस में मीडिया दबाव बना रहा है. इस केस में समाज के दबाव में सजा दी गई. हमने सीबीआई जैसी जांच एजेंसी से जांच की मांग की थी. जस्टिस भानुमति की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. केस की सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने दोनों पक्षों को दलीलें पेश करने के लिए 30-30 मिनट का समय दिया. वकील एपी सिंह के बाद सरकार की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस बताया और जल्द से जल्द फांसी की सजा देने की मांग की. जानें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की आज की 11 बड़ी बातें:
- दोषी के वकील एपी सिंह ने कहा- निर्भया केस में मीडिया दबाव बना रहा है. इस केस में समाज के दबाव में सजा दी गई. हमने सीबीआई जैसी जांच एजेंसी से जांच की मांग की थी.
- इस केस में लड़की का दोस्त ही एकमात्र गवाह था. उन्होंने कहा- लड़की के दोस्त ने पैसे लेकर इंटरव्यू दिए, जिससे जांच प्रभावित हुई. लड़की के दोस्त की गवाही मायने रखती है.
- रेयान इंटरनेशनल केस में स्कूल छात्र की हत्या में बेकसूर को फंसा दिया गया था. अगर सीबीआई की तफ्तीश नहीं होती तो सच सामने नहीं आता. इसलिए हमने इस केस मे भी CBI जैसी एजेसी जैसे जांच की मांग की थी.
- पीडिता के दोस्त के खिलाफ हमने पटियाला हाउस कोर्ट में केस किया है, जिस पर 20 दिसम्बर को कोर्ट सुनवाई करेगा.
- तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ अफसर सुनील गुप्ता की किताब में दोषी राम सिंह की आत्महत्या पर सवाल उठाए गए थे. कहा गया था कि उसकी हत्या हो सकती है.
- भारतीय संस्कृति जियो और जीने दो में यक़ीन करती है. दिल्ली में प्रदूषण और खराब पानी के चलते वैसे भी लोगों की उम्र कम हो रही है. फांसी की सज़ा देने की क्या ज़रूरत है.
- बापू का कहना था कि कोई फैसला लेते वक़्त सबसे गरीब आदमी का ख्याल रखा जाए कि उसे क्या फायदा होगा. यहां फांसी की सज़ा से किसी को फायदा नहीं होने वाला है.
- फांसी की सज़ा न्याय के नाम पर सबसे बड़ी नाइंसाफ़ी है. दोषियों को सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए. अक्षय को फांसी देने की जरूरत नहीं है.
- पीड़िता ने मौत से पहले दिये अपने बयान में किसी आरोपी का नाम नहीं लिया. वो अचेतावस्था में थी. वो कैसे इतना लंबा बयान दे सकती है.
- सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- यह मौत की सजा के लिए फिट केस है. यह रेयरस्ट ऑफ रेयर केस है. दोषी किसी तरह की सहानुभूति पाने का हकदार नहीं है. उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए. इस मामले में जल्द फैसला होना चाहिए, क्योंकि दोषी कानूनी दांवपेंच खेलकर वक्त जाया कर रहे हैं.
- इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. एक बजे कोर्ट फैसला सुनाएगा.