निर्भया केस (Nirbhaya Case) में दोषी अक्षय ठाकुर (Akshay Thakuar) की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका (Review Petition) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने दोनों पक्षों की जिरह को सुना और दोपहर एक बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था. एक बजे के बाद बेंच बैठी तो जस्टिस भानुमति (Justice Bhanumati) ने फैसला पढ़ते हुए कहा- इस मामले में उठाई गईं दलीलें पुरानी हैं. पहले फैसले के वक्त इन पर जिरह हो चुकी है. ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सभी बातों पर विचार कर फांसी की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही दोषी अक्षय ठाकुर की रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया. इस दौरान निर्भया के माता-पिता भी कोर्ट रूम में मौजूद थे. निर्भया की मां ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा, मैं इस फैसले से बहुत खुशी हूं. सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में जस्टिस भानुमति, जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस अशोक भूषण शामिल थे. इससे पहले सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने एक महत्वपूर्ण दलील देते हुए कहा था- ऐसे राक्षसों को पैदा कर ईश्वर भी शर्मसार होगा. ये कोई रियायत के अधिकारी नहीं.
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अक्षय ठाकुर के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दोषी राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करना चाहता है और इसके लिए तीन सप्ताह का समय चाहता है. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय निर्धारित है. कोर्ट का कहना है कि याचिकाकर्ता निर्धारित समय के भीतर दया याचिका का लाभ उठा सकते हैं.
अभियोजन पक्ष की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, निर्भया केस मौत की सजा के लिए फिट केस है. यह रेयरस्ट ऑफ रेयर केस है. दोषी किसी तरह की सहानुभूति पाने का हकदार नहीं है. उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए. इस मामले में जल्द फैसला होना चाहिए, क्योंकि दोषी कानूनी दांवपेंच खेलकर कोर्ट का वक्त जाया कर रहे हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही दोषी के वकील एपी सिंह (AP Singh) ने कहा, निर्भया केस में मीडिया दबाव बना रहा है. इस केस में समाज के दबाव में सजा दी गई. हमने सीबीआई (CBI) जैसी जांच एजेंसी से जांच की मांग की थी.
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जानें कौन है अक्षय कुमार सिंह उर्फ अक्षय ठाकुर?
- निर्भया गैंग रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराये गये अभियुक्तों में से एक अक्षय कुमार सिंह उर्फ अक्षय ठाकुर बिहार के औरंगाबाद जिले के टंडवा थाना क्षेत्र के लहंगकर्मा गांव का रहनेवाला है.
- अक्षय ठाकुर साल 2011 में पढ़ाई छोड़ कर घर से भागा और दिल्ली पैसे कमाने पहुंचा था.
- ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं होने के कारण उसे ठंग का काम नहीं मिला.
- इसी दौरान वह राम सिंह के करीब आ गया.
- राम सिंह ने अक्षय को बस कंडक्टर के काम में लगा दिया. राम सिंह के सहारे वह फल बेचनेवाले पवन गुप्ता से भी घुल-मिल गया था.
- निर्भया कांड के बाद अक्षय भागकर अपने गांव आ गया था.
- अक्षय ठाकुर को दिल्ली पुलिस ने बिहार के औरंगाबाद से गिरफ्तार कर अपने साथ लायी थी.
- 33 वर्षीय अक्षय ने अभी तक पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की थी, जबकि तीन अन्य दोषियों की पुनर्विचार याचिका न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है.
क्या–क्या हैं आरोप
अक्षय पर बलात्कार, हत्या और अपहरण के साथ ही घटना के बाद सुबूत मिटाने की कोशिश करने का भी आरोप था.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो