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निर्भया के गुनहगारों की फिर टलेगी फांसी !, दोषी मुकेश ने अब इस आधार पर किया सुप्रीम कोर्ट का रुख

गुनहगार मुकेश कुमार सिंह ने अपने पुराने वकील पर आरोप मढ़ते सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. मुकेश (Mukesh) का कहना है कि उसे यह नहीं बताया गया था कि क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए तीन साल तक का वक्त होता है. उनके वकील ने उन्हें गुमराह किया है.

Updated on: 06 Mar 2020, 05:33 PM

नई दिल्ली:

निर्भया गैंगरेप (Nirbhaya gang Rape) और हत्या मामले में गुनहगारों की फांसी की सजा फिर से टल सकती है. निर्भया के गुनहगार लगातार फांसी की सजा टालने के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं. निर्भया के गुनहगार मुकेश कुमार सिंह ने अपने पुराने वकील पर आरोप मढ़ते सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. मुकेश (Mukesh) का कहना है कि उसे यह नहीं बताया गया था कि क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए तीन साल तक का वक्त होता है. उनके वकील ने उन्हें गुमराह किया है.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मुकेश ने मांग की है कि तमाम कार्रवाई को रद्द की जाए और फिर से क्यूरेटिव पिटिशन और अन्य कानूनी उपचार के इस्तेमाल की इजाजत दी जाए. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मुकेश ने मांग की है कि तमाम कार्रवाई को रद्द की जाए और फिर से क्यूरेटिव पिटिशन और अन्य कानूनी उपचार के इस्तेमाल की इजाजत दी जाए. इस बार मुकेश ने अपने वकील एमएल शर्मा के जरिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में याचिका दायर की है. पहले मुकेश की तरफ से रेबेका जॉन केस लड़ रही थीं

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20 मार्च को निर्भया को मिलेगा इंसाफ

बता दें कि गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत ने फिर से निर्भया के चारों गुनहगारों के लिए डेथ वारंट जारी किया. निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में चारों दोषियों की फांसी तीन बार टलने के बाद बृहस्पतिवार को इसके लिए 20 मार्च की नयी तारीख निर्धारित की. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने निर्देश दिया कि मुकेश कुमार सिंह (32),पवन गुप्ता(25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31)को 20 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाया जाए.

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मुकेश को साजिश का शिकार बनाया गया

मुकेश की तरफ से दाखिल अर्जी में भारत सरकार, दिल्ली सरकार और कोर्ट सलाहकार को प्रतिवादी बनाया गया है. एमएल शर्मा की तरफ से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि उसे  साजिश का शिकार बनाया गया है. उसे यह नहीं बताया कि लिमिटेशन एक्ट के तहत क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए 3 साल तक का वक्त होता है. अर्जी में कहा गया है कि देखा जाए तो उसे उसके मौलिक अधिकारों से वंचित किया गया है. 

गौरतलब है कि निर्भया से 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था और उस पर बर्बरता से हमला किया गया था. निर्भया की बाद में सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गयी थी, जहां उसे बेहतर चिकित्सा के लिए ले जाया गया था.

चारों दोषियों और एक किशोर सहित छह व्यक्ति आरोपी के तौर पर नामजद थे

राष्ट्रपति ने मुकेश, विनय और अक्षय की दया याचिकाएं पहले ही खारिज कर दी हैं. मामले में चारों दोषियों और एक किशोर सहित छह व्यक्ति आरोपी के तौर पर नामजद थे. छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ दिनों बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. एक सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद 2015 में किशोर को रिहा कर दिया गया था.