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निर्भया के दोषियों को फांसी से 3 दिन पहले जल्लाद को होना होगा जेल में उपस्थित, जानें क्यों

निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले (Nirbhaya Case) में दोषियों को फांसी की सजा मिलने से पांच दिन पहले तिहाड़ जेल (Tihar Jail) के अधिकारियों ने रविवार को कहा कि उन्होंने जल्लाद को फांसी वाले दिन से तीन दिन पहले उपस्थित होने को कहा है.

Updated on: 15 Mar 2020, 07:53 PM

दिल्ली:

निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले (Nirbhaya Case) में दोषियों को फांसी की सजा मिलने से पांच दिन पहले तिहाड़ जेल (Tihar Jail) के अधिकारियों ने रविवार को कहा कि उन्होंने जल्लाद को फांसी वाले दिन से तीन दिन पहले उपस्थित होने को कहा है. इस मामले में दोषी पाए गए चार व्यक्तियों- मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को 20 मार्च को सुबह पांच बजकर तीस मिनट पर एक साथ फांसी दी जाएगी.

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जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ताजा डेथ वारंट जारी होने के बाद तिहाड़ जेल अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के जेल अधिकारियों को पत्र लिखकर जल्लाद पवन की सेवा का अनुरोध किया था. महानिदेशक (जेल) संदीप गोयल ने कहा कि मेरठ के जल्लाद पवन को फांसी से तीन दिन पहले 17 मार्च को तिहाड़ जेल में उपस्थित होने को कहा गया है. जेल अधिकारियों के अनुसार, जल्लाद के आने के बाद डमी को फांसी देकर अभ्यास किया जाएगा.

निर्भया के गुनहगारों के परिवारवालों ने इच्छा मृत्यु की मांग की, पत्र लिख ऐसे लगाई गुहार

निर्भया के गुनहगार (nirbhaya culprits) फांसी की सजा से बचने के लिए आए दिन नए पैतरे लगा रहे हैं तो उनके परिवारवाले भी उनका साथ दे रहे हैं. कभी कोर्ट के बाहर दोषियों को फांसी की सजा नहीं देने की मांग करते हुए प्रदर्शन करना या फिर इच्छा मृत्यु की मांग. जी हां निर्भया के दोषियों के परिवारवालों ने इच्छा मृत्यु की मांग की है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) को पत्र लिखकर कर इच्छा मृत्यु की मांग की है.

रविवार को निर्भया केस के चारों दोषियों के परिवार ने राष्ट्रपति से अपने लिए इच्छा मृत्यु की इजाज़त मांगी है. 13 लोगों ने खत लिखकर इच्चा मृत्यु की मांग की है. दोषी मुकेश के परिवार में दो लोग, दोषी पवन और विनय के परिवार में चार-चार और अक्षय के परिवार के 3 सदस्यों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है. बता दें कि निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में फांसी की सजा पाए चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर दावा किया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने में प्रक्रियागत खामियां और ‘‘संवैधानिक अनियमितताएं’’ थीं.

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शर्मा की तरफ से याचिका उसके वकील एपी सिंह ने दायर की जिन्होंने कहा कि मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में दायर किया गया है. याचिका में दावा किया गया है कि दया याचिका खारिज करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजी गई अनुशंसा में दिल्ली के गृह मंत्री सत्येन्द्र जैन के हस्ताक्षर नहीं हैं.