ऐसे राक्षसों को पैदा कर ईश्वर भी शर्मसार होगा, ये रियायत के अधिकारी नहीं, सॉलीसीटर जनरल ने कहा

सॉलीसीटर जनरल ने कहा, निर्भया केस मौत की सजा के लिए फिट केस है. यह रेयरस्ट ऑफ रेयर केस है. दोषी किसी तरह की सहानुभूति पाने का हकदार नहीं है. उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए.

author-image
Sunil Mishra
New Update
ऐसे राक्षसों को पैदा कर ईश्वर भी शर्मसार होगा, ये रियायत के अधिकारी नहीं, सॉलीसीटर जनरल ने कहा

ऐसे राक्षसों को पैदा कर ईश्वर भी शर्मसार होगा, सॉलीसीटर जनरल ने कहा( Photo Credit : File Photo)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में निर्भया कांड (Nirbhaya Case) के दोषी अक्षय ठाकुर (Akshay Thakur) की रिव्‍यू पिटीशन पर सुनवाई के दौरान सॉलीसीटर जनरल ने महत्वपूर्ण दलील देते हुए कहा, ऐसे राक्षसों को पैदा कर ईश्वर भी शर्मसार होगा. ये कोई रियायत के अधिकारी नहीं हैं. उन्‍होंने कहा, निर्भया केस मौत की सजा के लिए फिट केस है. यह रेयरस्ट ऑफ रेयर केस है. दोषी किसी तरह की सहानुभूति पाने का हकदार नहीं है. उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए. इस मामले में जल्द फैसला होना चाहिए, क्‍योंकि दोषी कानूनी दांवपेंच खेलकर वक्त जाया कर रहे हैं. इससे पहले दोषी के वकील एपी सिंह (AP Singh) ने दलील देते हुए कहा था, निर्भया केस में मीडिया दबाव बना रहा है. इस केस में समाज के दबाव में सजा दी गई. हमने सीबीआई (CBI) जैसी जांच एजेंसी से जांच की मांग की थी. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दोपहर बाद एक बजे तक के लिए सुरक्षित रख लिया.

Advertisment

यह भी पढ़ें : निर्भया केस : पटियाला हाउस कोर्ट का तुरंत डेथ वारंट जारी करने से इनकार, अगली सुनवाई 7 जनवरी को

वकील एपी सिंह ने कहा, रेयान इंटरनेशनल केस में भी बेकसूर को फंसाया गया था. अगर CBI की तफ्तीश नहीं होती तो सच सामने नहीं आता. इसलिए हमने इस केस मे भी CBI जैसी एंजेसी जैसे जांच की मांग की थी. कोर्ट ने पूछा- इन बातों का यहां क्या मतलब है तो वकील एपी सिंह बोले- वो लड़का (निर्भया का दोस्‍त) निर्भया केस का एकमात्र चश्मदीद गवाह है. उसकी गवाही मायने रखती है.

तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ अफसर सुनील गुप्ता की किताब का जिक्र करते हुए एपी सिंह बोले- किताब में राम सिंह की आत्महत्या पर सवाल उठाए गए थे. कहा गया था कि उसकी हत्या हो सकती है. इस पर कोर्ट ने कहा- इसका कोई मतलब नहीं अगर किसी केस में ट्रायल पूरा होने के बाद कोई किताब लिखे. बेंच ने साफ़ किया कि वो इस तरह की दलीलों पर नहीं जाएगी. यह खतरनाक प्रवृत्ति को बढ़ावा देगा कि लोग ट्रायल ख़त्म होने के बाद किताब लिखें. हम ऐसे कितनी दलीलों पर सुनवाई करेगे.

एपी सिंह ने कहा, भारतीय संस्कृति जियो और जीने दो में यक़ीन करती है. प्रदूषण और खराब पानी से लोगों की उम्र भले ही कम हो रही है, फांसी की सज़ा देने की क्या ज़रूरत है. एपी सिंह ने कहा- बापू (महात्‍मा गांधी) का कहना था कि कोई फैसला लेते वक़्त सबसे गरीब आदमी का ख्याल रखा जाए कि उसे क्या फायदा होगा. यहां फांसी की सज़ा से किसी को फायदा नहीं होने वाला है.

यह भी पढ़ें : नागरिकता संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से जवाब तलब किया, अभी कोई स्टे नहीं

एपी सिंह ने कहा- दोषियों को सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए. अक्षय को फांसी देने की जरूरत नहीं है. पीड़िता ने अपने अंतिम बयान में किसी आरोपी का नाम नहीं लिया. वो अचेत थी. वो कैसे इतना लंबा बयान दे सकती है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप एक जैसी ही बहस कर रहे हैं. आप सब वही पुरानी बातें दोहरा दे रहे है. सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी.

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

Tushar Mehta Delhi Gangrape Nirbhaya Rape Supreme Court
      
Advertisment