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दिल्ली और पूरे उत्तर भारत में सर्दियां प्रदूषण लेकर आती हैं. लेकिन आज दशहरा के अगले दिन भी हम दिल्ली में साफ़ हवा में सांस ले रहे हैं. दशहरा के अगले दिन आम तौर पर AQI ख़राब श्रेणी में होता है. पिछले दस दिनों से दिल्ली में बारिश नहीं हुई है, इसके बावजूद दिल्ली में AQI पुअर कैटेगरी से बाहर है.
पिछले साल भी 12 अक्टूबर तक 200 दिन ऐसे थे जिन्हें AQI के मामले में अच्छे दिन कहा जाता है. इस साल भी जनवरी से 12 अक्टूबर के बीच दिल्ली ने अच्छे दिनों वाले AQI के लक्ष्य को पूरा किया है. 2016 से अब तक केवल कोरोना के दौरान 2020 में ऐसा हुआ था. लेकिन कोरोना के बाद लगातार दूसरे साल ऐसा हुआ है कि 365 में से 200 दिन AQI के हिसाब से अच्छे रहे. 2016 में यह संख्या 109-दिन थी.
कल केंद्र की एजेंसी CPCB ने यह आंकड़ा जारी किया है. भाजपा नेता जो लगातार बोलते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा है, वे एक बार केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को फ़ोन कर लें और CPCB से भी कन्फ़र्म कर लें. AQI के हिसाब से ये अच्छे दिन इसलिए हैं क्योंकि सरकार के प्रयास के साथ साथ बारिश भी ज़्यादा हो रही है. डस्ट पॉल्यूशन, व्हीकल पॉल्यूशन, बायो मास बर्निंग आदि पर कंट्रोल के लिए बारिश ज़रूरी है.
खास तौर पर दिवाली के बाद जब पराली का धुआं भी बढ़ता है, वैसे समय में कृत्रिम बारिश कारगर उपाय हो सकती है. 30 अगस्त को मैंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को इसे लेकर चिट्ठी लिखी थी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. दोबारा 10 अक्टूबर को चिट्ठी लिखी है. अगर बारिश के कारण प्रदूषण का स्तर ठीक हो रहा है, तो कृत्रिम बारिश का प्रयोग हमें करना चाहिए. IIT के पास यह तकनीक है.