दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने एक अहम कदम उठाया है. अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 500 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल वाले सभी निर्माण और ध्वस्तीकरण (C&D) परियोजनाओं को DPCC के डस्ट पॉल्यूशन कंट्रोल सेल्फ-असेसमेंट पोर्टल पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा. जब तक यह पंजीकरण नहीं होगा, नगर निगम (MCD) भवन योजना को स्वीकृति नहीं देगा. DPCC की ओर से जारी इस नए आदेश का पालन दिल्ली के सभी नगर निकायों- जैसे कि MCD, NDMC और DCB - को करना अनिवार्य होगा. इस कदम का उद्देश्य निर्माण स्थलों से उड़ने वाले खतरनाक कणों जैसे PM10 और PM2.5 के उत्सर्जन को कम करना है.
नए नियमों की प्रमुख बातें:
1. पंजीकरण अनिवार्य: 500 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्र की सभी C&D परियोजनाओं को डस्ट पॉल्यूशन कंट्रोल पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. बिना पंजीकरण के भवन योजना की मंजूरी नहीं दी जाएगी.
2. एपीआई लिंकिंग: MCD द्वारा जारी भवन स्वीकृतियों को DPCC पोर्टल से जोड़ा जाएगा, जिससे निरीक्षण और निगरानी की प्रक्रिया डिजिटल और पारदर्शी हो जाएगी.
3. 14 सूत्रीय डस्ट नियंत्रण दिशा-निर्देश: सभी निर्माण परियोजनाओं को इन दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा. इसमें एंटी-स्मॉग गन का उपयोग, साइट की घेराबंदी, नियमित पानी का छिड़काव, और ट्रकों की सफाई जैसे उपाय शामिल हैं.
4. साइट पर सूचना बोर्ड आवश्यक: प्रत्येक निर्माण स्थल पर डस्ट पोर्टल पंजीकरण आईडी के साथ एक डिस्प्ले बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा.
DPCC का मानना है कि इन उपायों से निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल पर लगाम लगेगी और दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार होगा. आदेश में यह भी कहा गया है कि नगर निकाय इन नियमों को सख्ती से लागू करें और जल्द अपनी कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करें.