Mundka Fire Tragedy: इस लापरवाही से लगी थी आग, मालिक मनीष लाकड़ा फरार

मुंडका अग्निकांड हादसे में आग exit गेट की सीढ़ियों से लगनी शुरू हुई थी और सीढ़ियों पर ही कंपनी ने अपने cctv के पैक किए हुए बड़े बड़े डिब्बे रखे थे जहां से आग शुरू हुई और वहीं से लोगों के बाहर आने का रास्ता था

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Akanksha Tiwari
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जानें मुंडका की बिल्डिंग में क्या थी आग लगने की वजह( Photo Credit : फोटो- IANS)

Mundka Fire Tragedy: मुंडका अग्निकांड हादसे के पीछे बिल्डिंग के मालिक मनीष लाकड़ा की गंभीर लापरवाही सामने आ रही है, मनीष तीसरी मंजिल पर रहता था जिसमें पीछे की तरफ की सीढ़ियों को उसने अपने निजी प्रयोग के लिए बंद करवा दिया था क्योंकि ग्राउंड फ्लोर पर 2 महीने पहले ही लकड़ी का गोदाम किराए पर दिया गया था, उसके लेबर ऊपर वाली मंजिलों पर ना आए, इसलिए पीछे की सीढ़ियों को बंद कर दिया था, यही वजह है कि जब आग लगी तो एंट्री और एग्जिट का एक ही रास्ता बचा था. उसके बारे में भी बताया जा रहा है कि गार्ड ने नीचे का सामान आग से बचाने के लिए ग्राउंड की सीढ़ियों को गेट बंद कर दिया था. कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि उस समय वहां लाइट गई थी ,जनरेटर ऑन करने की वजह से स्पार्क हुआ और आग भड़क गई.

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आग exit गेट की सीढ़ियों से लगनी शुरू हुई थी और सीढ़ियों पर ही कंपनी ने अपने cctv के पैक किए हुए बड़े बड़े डिब्बे रखे थे जहां से आग शुरू हुई और वहीं से लोगों के बाहर आने का रास्ता था. एक और हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है कि फैक्ट्री में काम करने वाले सभी वर्कर्स का मोबाइल ड्यूटी शुरू होने से पहले काउंटर पर जमा करा लिया जाता था, जिस वजह से बहुत से लोग आग लगने के बाद अपने परिजनों से संपर्क नहीं कर पाए कोई आपातकालीन मदद के लिए भी कॉल नहीं कर पाए.

आरोपी मनीष लाकड़ा फरार है, गोयल बंधुओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, इस मामले में आईपीसी की धारा 304 ,308 120b और 34 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है ,यह सेक्शन गैर इरादतन हत्या, गैर इरादतन हत्या की कोशिश, आपराधिक षड्यंत्र और कॉमन इंटेंशन के हैं.

फायर ब्रिगेड के आने तक आग भड़क चुकी थी और रेस्क्यू बंद हो गया था जो लोग फंसे वह जिंदा जल गए. स्थानीय लोगों और चश्मदीदों का कहना है कि इस आगजनी में प्रशासनिक लापरवाही हद स्तर की रही है, एक बिल्डिंग में बिना एनओसी छोटी सी जगह पर 200 से ज्यादा लोगों का काम करना, आग भड़कने के बाद दिल्ली फायर सर्विस की गाड़ियां डेढ़ घंटे बाद पहुंची, माना कि स्थानीय लोगों के रेस्क्यू के चलते रोड पर जाम लगा था लेकिन नजफगढ़ कपासहेड़ा टिकरी बॉर्डर के फायर स्टेशन से गाड़ियां 4,5,6 किलोमीटर के दायरे में आ सकती थी, लोगों का आरोप है कि दिल्ली फायर सर्विस ने शुरुआत में आगजनी को गंभीरता से नहीं लिया और चार पांच गाड़ियां भेजी गई थी.

स्थानीय लोगों ने करीब 100 लोगों को क्रेन और सीढ़ियों की मदद से रेस्क्यू किया, जान पर खेलकर आग में फंसे लोगों को बचाया गया, लेकिन अनजाने में गलती एक हो गई की बिल्डिंग के शीशे क्रेन द्वारा तोड़े जाने पर हवा अंदर दाखिल हुई तो एकाएक आग की लपटें भड़क गई, उसे पहले आग सुलग रही थी और धुंए से बचकर लोग सीढी और क्रेन की मदद से निकल रहे थे, एकाएक आग भड़कने से रेस्क्यू बंद हो गया, मददगारों को पीछे हटना पड़ा, इसके बाद कोई नहीं बच सका जो बिल्डिंग में फंसा रह गया.

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