ओह! तो इस वजह से रूठे थे बदरा, दिल्‍ली-एनसीआर में मानसून ने दी दस्‍तक

दिल्‍ली ही नहीं पूरे उत्‍तर भारत में इस बार गर्मी ने गदर मचा रखा है. वैसे दिल्‍ली के कुछ इलाकों में राहत की बूंदें पड़नी शुरू हो गई है.

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Drigraj Madheshia
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ओह! तो इस वजह से रूठे थे बदरा, दिल्‍ली-एनसीआर में मानसून ने दी दस्‍तक

दिल्‍ली में पहली बारिश की तस्‍वीर (ANI)

बारिश की चंद बूदों के लिए तरस रही राजधानी दिल्‍ली और NCR में 3 जुलाई तक मानसून को दस्तक देने की बात कही गई थी, लेकिन आज यानी गुरुवार को बादलों ने कुछ उम्‍मीद की किरण दिखाई है. अगर आज झमाझम बारिश होती है तो यह पहला मौका होगा जिसमें मानसून इतनी देर से दस्‍तक दिया हो. वैसे दिल्‍ली के कुछ इलाकों में राहत की बूंदें पड़नी शुरू हो गई है. दिल्‍ली ही नहीं पूरे उत्‍तर भारत में इस बार गर्मी ने गदर मचा रखा है. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, भूमध्य रेखा के आसपास प्रशांत क्षेत्र में अल-नीनो का प्रभाव रहता है. इसमें प्रशांत महासागर में समुद्री सतह का तापमान भी असामान्य रूप से बढ़ जाता है, जिससे पूरे एशिया के मौसम पर प्रभाव पड़ता है. जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ घटता वन क्षेत्र और बढ़ता शहरीकरण भी भीषण गर्मी की प्रमुख वजह है.

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अगर तपती दिल्‍ली की बात करें तो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) की रिपोर्ट बताती है कि जिन क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर कंक्रीट का जंगल देखने को मिलता है और जिन क्षेत्रों में अभी भी शहरीकरण का प्रभाव कम है, वहां के तापमान में खासा अंतर देखने को मिलता है. रिपोर्ट के मुताबिक लोधी गार्डन, बुद्धा जयंती पार्क, हौजखास, रोहिणी स्थित स्वर्ण जयंती पार्क व संजय वन ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बाकी दिल्ली के मुकाबले तापमान में तीन से छह डिग्री तक की कमी देखने को मिलती है, जबकि पुरानी दिल्ली का इलाका, सफदरजंग, बदरपुर, कनॉट प्लेस, भीकाजी कामा प्लेस,और नोएडा की धरती कहीं ज्यादा गर्म है. यहां का तापमान भी चार से 4.5 डिग्री तक अधिक रहता है.

वहीं एक गैर सरकारी संस्था इंटीग्रेटेड रिसर्च एंड एक्शन फॉर डेवलपमेंट (इराडे) द्वारा तैयार एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ते तापमान के लिए प्रकृति नहीं, बल्कि दिल्ली खुद जिम्मेदार है. कंक्रीट के बढ़ते जंगल से हरित क्षेत्र लगातार घट रहा है. हरियाली का मतलब घास वाले पार्क नहीं, बल्कि वन क्षेत्र होना आवश्यक है. पार्कों में भी बड़े पेड़ होने चाहिए. इसी तरह से कच्चा क्षेत्र, जहां वर्षा जल संचयन हो सके, दिल्ली में समाप्त होता जा है. कॉमर्शियल गतिविधियों और वाहनों का उपयोग बढ़ रहा है.

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सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (सीएसई) द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर जारी की गई स्टेट ऑफ इंडियाज की अपडेटेड रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में वन क्षेत्र को बचाने के लिए भी उदासीनता बरती जा रही है. दिल्ली में मॉनसून के पहुंचने की संभावित तारीख 29 जून है. कई बार इससे पहले भी मानसून दस्तक दे चुकी है.

दिल्‍ली में कब-कब मानसून ने दी दस्‍तक

  • साल 2018 में 28 जून को मानसून ने दस्तक दिया था.
  • साल 2017 में 26-27 जून को दिल्ली में मानसून ने दस्तक दिया.
  • साल 2016 में दिल्ली में मानसून 2 जुलाई को पहूंचा था.
  • साल 2015 में मॉनसून 25 जून को पहूंचा था.
  • साल 2013 में 16 जून को पहूंचा था.
  • साल 2011 में 26 जून को मानसून पहूंचा था.
  • साल 2008 में 15 जून को मानसून पहूंचा था.
  • साल 2001 में 24 जून को मानसून पहूंचा था.
  • साल 1998 में 16 जून को मानसून आ गया था.

HIGHLIGHTS

  • कनॉट प्लेस या भीकाजी कामा प्लेस में सबसे ज्यादा गर्मी रहती है
  • वाहनों का आवागमन ज्यादा रहता है, जिनका धुआं प्रदूषण और गर्मी फैलाता है.
  • व्यावसायिक इमारतों में लगे एयर कंडिशनर गर्म हवा छोड़ते हैं
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