लगता है आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच दिल्ली में महागठबंधन बनाने को लेकर खिचड़ी पक रही है. शीला दीक्षित के ताजा बयानों से तो ऐसा ही लगता है. शीला दीक्षित का कहना है कि दिल्ली में महागठबंधन को लेकर पार्टी हाईकमान का जो फैसला होगा, उसे हम सभी स्वीकार करेंगे. दीक्षित के इस बयान के तमाम मायने निकाले जा रहे हैं. उनका बयान इशारा कर रहा है कि दोनों दलों में कुछ चल रहा है.
हालांकि दोनों दलों के नेता इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन अनौपचारिक बातचीत में दोनों दलों के नेता मानते हैं कि इस बारे में अंदरूनी तौर पर कुछ बातचीत हो रही है. इसलिए हाल के दिनों में दोनों दलों के नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी से बच रहे हैं. माना जा रहा है कि दिल्ली ही नहीं, हरियाणा और पंजाब में भी गठबंधन को लेकर बातचीत हो रही है.
दो दिन पहले 1984 के सिख दंगों में सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने इस पर बहुत ही सधी हुई प्रतिक्रिया जताई थी. वे किसी पार्टी का नाम लेने से बचते दिख रहे थे. हालांकि गोलमोल बोलते हुए उन्होंने कहा, जितने भी नेता इसमें शामिल हैं, उन्हें सजा जरूर मिलनी चाहिए. इस दौरान पूछे गए गठबंधन के सवाल पर वे कुछ भी नहीं बोले थे और इस बात से इन्कार भी नहीं किया था.
दिल्ली में एक धड़ा कांग्रेस से गठबंधन करना चाहता है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन इस पक्ष में नहीं हैं. कई बार उनके इस्तीफे की खबरें आ चुकी हैं. कांग्रेस आलाकमान मान रहा है कि अजय माकन का रुख दिल्ली में महागठबंधन की राह में बाधा बन सकता है, लिहाजा उन्हें शायद शांत कराने को कहा गया है. जानकारों का मानना है कि आम आदमी पार्टी से गठबंधन हुआ तो कांग्रेस के लिए दिल्ली में वजूद बचाना मुश्किल हो जाएगा. गठबंधन का फायदा केवल आम आदमी पार्टी को ही होगा.