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दिल्ली सर्विस आर्डिनेंस बिल में किए गए हैं अहम बदलाव, केजरीवाल सरकार कर रही है विरोध

केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली सर्विस आर्डिनेंस बिल में कई अहम बदलाव भी किए गए हैं.

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Dheeraj Sharma
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Pm Modi Arvind Kejriwal

Pm-Modi-Arvind-Kejriwal ( Photo Credit : google)

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Delhi Ordinance Bill: 20 जुलाई से शुरू हुआ संसद का मॉनसून सत्र लगातार हंगामे की भेंट चढ़ रहा है. दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित संशोधन विधेयक (Delhi Ordinance Bill) को आज लोकसभा (Lok Sabha) में पेश किया जा सकता है. ये वही बिल है, जिससे जुड़े अध्यादेश पर केजरीवाल सरकार काफी दिनों से विरोध दर्ज कराती आई है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने देशभर में विपक्षी दलों से मुलाकात कर इसी बिल के खिलाफ समर्थन देने की मांग भी की थी. 

केंद्र सरकार ने किए अहम बदलाव

इस बीच यहां ये भी बता दें कि, केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली सर्विस आर्डिनेंस बिल में कई अहम बदलाव भी किए गए हैं. इस अध्यादेश में केंद्र की ओर से 19 मई को जारी सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया गया था, जिसमें कहा गया गया था कि अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग सहित सर्विस से जुड़े मामलों में केंद्र नहीं बल्कि दिल्ली सरकार का नियंत्रण है.

किया गया है ये प्रावधान 

केंद्र सरकार की तरफ से जारी अध्यादेश में दिल्ली विधानसभा को 'राज्य लोक सेवा और राज्य लोक सेवा आयोग' से संबंधित कोई भी कानून बनाने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. केंद्र सरकार के विधेयक में अध्यादेश के उस हिस्से को हटा दिया गया है. इस विधेयक में एक नए प्रावधान में कहा गया है कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की तरफ से गठित बोर्ड और आयोगों में राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण द्वारा अनुशंसित नामों के एक पैनल के आधार पर नियुक्तियां करेंगे, जिसकी अध्यक्षता दिल्ली के मुख्यमंत्री करेंगे.

ये भी जानें 

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सिविल सेवा प्राधिकरण को इस तरह से बनाया गया है कि इसके अध्यक्ष तो दिल्ली के मुख्यमंत्री रहेंगे, लेकिन वो हमेशा अल्पमत में रहेंगे. समिति में बाकी दो अधिकारी कभी भी उनके खिलाफ वोट डाल सकते हैं, सीएम की अनुपस्थिति में बैठक भी बुला सकते हैं और सिफारिशें कर सकते हैं. 

SC के फैसले के खिलाफ लाया गया अध्यादेश

गौरतलब है कि केंद्र कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने के लिए 19 मई को जो अध्यादेश लाया गया था. इसमें राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने को कहा गया था. इसमें कहा गया था कि ग्रुप-ए के अफसरों के ट्रांसफर और उनपर अनुशासनिक कार्रवाही का जिम्मा इसी प्राधिकरण को दिया गया. कहा जा रहा है कि दिल्ली के लिए लाए गए इस अध्यादेश से दिल्ली सरकार की शक्तियां कम हो गईं हैं. 

HIGHLIGHTS

  • दिल्ली सर्विस आर्डिनेंस बिल में किए गए अहम बदलाव.  
  • केजरीवाल सरकार कर रही है विरोध. 
  • सीएम केजरीवाल ने विपक्षी दलों से मांगा समर्थन. 

Source : News Nation Bureau

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