उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण विकास के अवसर प्रदान करते हैं : उपराष्ट्रपति

नायडू ने एक नयी शब्दावली एलपीजी गढी जिसमें एल यानी लिबराइजेश (उदारीकरण), पी यानी प्राइवेटाइजेशन (निजीकरण) और जी यानी ग्लोबलाइजेशन (वैश्वीकरण) है.

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Sushil Kumar
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एम वेंकैया नायडू( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण भले ही चुनौतियां पेश करते हैं लेकिन वे देश के विकास का अवसर भी प्रदान करते हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता और विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी के शताब्दी वर्ष समारोह के मौके पर उन्होंने कहा, ‘‘ हम कारोबार सुगमता की वैश्विक रैकिंग पर लगातार चढ़ते जा रहे हैं. हम अर्थव्यवस्था में रचनात्मक व्यवधान देख रहे हैं. अर्थव्यवस्था पर उनका प्रतिकूल प्रभाव क्षणिक ही होगा और अर्थव्यवस्था फिर से उच्च वृद्धिदर के मार्ग पर लौट आएगा.’’ ठेंगड़ी ने अर्थव्यवस्था के स्वदेशी मॉडल की वकालत की थी और भारतीय मजदूर संघ, स्वदेशी जागरण मंच और संघ के कई अन्य संगठनों की स्थापना की थी.

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नायडू ने एक नयी शब्दावली एलपीजी गढी जिसमें एल यानी लिबराइजेश (उदारीकरण), पी यानी प्राइवेटाइजेशन (निजीकरण) और जी यानी ग्लोबलाइजेशन (वैश्वीकरण) है. उन्होंने कहा कि उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण भले ही चुनौतियां पेश करते हैं लेकिन वे देश के विकास का अवसर भी देते हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ कदमताल करते हुए भारत भी बदल रहा है. उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ पारदर्शी, टिकाऊ, कुशल और उच्च वृद्धि वाली समावेशी अर्थव्यवस्था के लिए नयी विधायी ढांचा तैयार किया जा रहा है. हमारी अर्थव्यवस्था में नये स्टार्टअप क्षेत्र उभर रहा है. भारत स्टार्टअप में स्टार्ट की तीसरी बड़ी संख्या है.’’ ठेंगड़ी को ‘सच्चे प्रेरणादायी व्यक्ति और कर्मयोगी’ करार देते हुए नायडू ने कहा , ‘‘ मैं उन्हें इतनी गहराई से जानने का सौभाग्यशाली रहा हूं. मैं आशा करता हूं कि युवा पीढ़ी इन महान नेता के जीवन और कृत्य से प्रेरणा लेगी और स्वयं को राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पित करेगी.’

Source : Bhasha

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