दिल्ली के तीनों लैंडफिल साइट बदले जाएंगे बायोडायवर्सिटी पार्क में, पढ़ें योजना की पूरी detail
इन लैंडफिल साइटों के आस-पास रह रहे लोगों की पीने के पानी या भूमिगत पानी की क्वालिटी को लेकर हमेशा से शिकायत रहती है.
highlights
- दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइट बायोडायवर्सिटी पार्क के रुप में होंगे विकसित.
- एमसीडी जल्द ही कर सकती है योजना पर काम शुरू.
- लैंडफिल साइटों के आस-पास का भूमिगत जलस्तर की गुणवत्ता काफी खराब.
नई दिल्ली:
दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइटों के आस-पास रहने वालों के लिए अच्छी खबर है. MCD यानी म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली जल्द ही इन साइटों को बायोडायवर्सिटी पार्क के रुप में बदलने की योजना बना रही है. सबसे पहले पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट का काम शुरू किया जाएगा जिसकी कुल जमीन 70 एकड़ से भी ज्यादा है. इसके बाद मुबारका चौक के पास का भलस्वा लैंडफिल साइट को डेवेलप किया जाएगा जिसकी कुल जमीन करीब 36 एकड़ है.
अंतिम चरण में ओखला लैंडफिल साइट को डेवेलप किया जाएगा जिसकी कुल जमीन 46 एकड़ है जिसको बायोडायवर्सिटी पार्क के रुप में बदलने की योजना है. बता दें कि भलस्वा लैंडफिल साइट पर करीब 80 लाख मीट्रिक टन कुड़ा है, गाजीपुर लैंडफिल साइट पर 1.40 करोड़ मीट्रिक और ओखला लैंडफिल साइट पर करीब 55-60 लाख मीट्रिक टन कूड़ा इकट्ठा है. तीनों लैंडफिल साइटो पर एक अनुमान के मुताबिक 2.80 करोड़ मीट्रिक टन कूड़ा इकट्ठा है.
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आस-पास रहने वालों को ये है परेशानी
इन लैंडफिल साइटों के आस-पास रह रहे लोगों की पीने के पानी या भूमिगत पानी की क्वालिटी को लेकर हमेशा से शिकायत रहती है. नॉर्थ एमसीडी के एक अधिकारी के अनुसार, एनजीटी के कुछ दिनों पहले भलस्वा लैंडफिल साइट के आस-पास के रिहायशी इलाकों के 18 बोरवेल का भूजल का टेस्ट कराया था जिसकी रिपोर्ट काफी खराब आई थी. इस टेस्ट में बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड लेवल 68.4 एमजी/लीटर आया जबकि पीने के पानी का बीओडी लेवल जीरो होना चाहिए.
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इस पानी का केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD) लेवल 547.5 एमजी /लीटर पाया गया है. जबकि इसका लेवल भी जीरो होना चाहिए. पीने के पानी का टीडीएस लेवल 500 से अधिक नहीं होना चाहिए जबकि यहां के पानी का टीडीएस लेवल 4465.23 एमजी/लीटर पाया गया है. साथ ही इन लैंडफिल साइटों से निकलने वाली गैसों से आस-पास रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है.
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