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Kisan Andolan: किसान आंदोलन के बीच सियासी पारा हाई, कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पूछे 6 सवाल

Kisan Andolan 2024: एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर अन्नदाता सड़कों पर हैं. इस बीच सियासी पारा भी हाई हो गया है. कांग्रेस ने केंद्र से किए 6 अहम सवाल.

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Dheeraj Sharma
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Farmer Protest 2 0 Congress Ask Question To Central Government

Farmer Protest 2 0 Congress Ask Question To Central Government ( Photo Credit : Social Media)

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Kisan Andolan 2024: अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर किसान सड़कों पर हैं. दिल्ली और इससे सटी सीमाओं पर बड़ी संख्या में किसानों का प्रदर्शन जारी है. एमएसपी से लेकर लखीमपुरीखीरी के दोषियों को सजा समेत 12 मांगों को लेकर किसानों एक भीर राजधानी की तरफ कूच किया है. बताया जा रहा है कि देर रात तक केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बैठकों का दौर चला, हालांकि ये बैठक बेनतीजा ही रही. एक तरफ किसान सड़कों पर हैं तो दूसरी तरफ सियासी पारा भी हाई हो गया है. किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस ने केंद्र से 6 बड़े सवाल किए हैं. 

किसान आंदोलन के बीच केंद्र से कांग्रेस के 6 अहम सवाल 

1. क्या देश का अन्नदाता किसान न्याय मांगने देश की राजधानी दिल्ली में नहीं आ सकता? क्या किसान को दिल्ली की परिधि के 100 किलोमीटर तक भी आने की आजादी नहीं है?

2. क्या सरकार यह मानती और सोचती है कि किसान दिल्ली की सत्ता पर आक्रमण करने आ रहा है या फिर जबरन सत्ता पर कब्जा करना चाहता है? यदि हां, तो सरकार सामने आकर सबूत दे कि यह दिल्ली की सत्ता के तख्तापलट की कोशिश है. यदि नहीं, तो फिर देश की राजधानी को पुलिस और पैरामिलिटरी की छावनी में बदलने का क्या कारण है?

3. देश का अन्नदाता प्रधानमंत्री और देश की सरकार से न्याय न मांगे, तो कहां जाए?  क्या अब न्याय मांगने का कोई और रास्ता या तरीका है? यदि हां, तो सरकार बताए ताकि किसान वो दरवाजा खटखटा सकें. 

4. जब किसान आंदोलन पूरी तरह शांतिप्रिय है और जब वर्षों तक चला पिछला किसान आंदोलन भी शांतिप्रिय था तो फिर किसान की राह में ‘कीलें-बंदी’क्यों, कंटीले तार क्यों, सीमेंट के बोल्डर और कंटेनर क्यों, सड़कों में खुदी खाईयां क्यों, किसानों के पुलिस और पैरामिलिटरी में भर्ती सिपाहियों की संगीनों और बंदूकों के मुंह किसानों की छातियों की ओर क्यों?

5. क्या केंद्र को देश की मिट्टी का दर्द, आत्महत्या करते अन्नदाता की वेदना और कराहते  हिंदुस्तान की आवाज सुनाई नहीं देती? 

6. 18 जुलाई, 2022 को तीन काले कानून वापस लेने के बाद केंद्र ने ही किसानों के समर्थन मूल्य के लिए एक प्रभावी और पारदर्शी कानून बनाने का वादा किया था. किसान और खेत मजदूर को कर्ज राहत से मुक्ति देने का मार्ग प्रशस्त करने बारे में कहा था तो फिर किसान इस वादे की गारंटी क्यों न मांगे? 

हक लिए बिना किसान पीछे नहीं हटेंगे

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा- इस बार अन्नदाता पिछली बार की तरह खोखले वादे और नफरती इरादों के झांसे में नहीं आने वाले हैं. इस बार वो अपने वाजिब हक के लिए बिना हस्तिनापुर से हटेंगे नहीं. 

दिल्ली सीमा ऐसे सील जैसे देश के दुश्मन ने हमला किया हो
सुरजेवाला ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं को इस तरह किल और बैरिकेड्स से सील किया गया है जैसे अन्नदाता नहीं बल्कि किसी दुश्मन ने देश पर हमला कर दिया हो. 

किसानों की मांग का समर्थन करती है कांग्रेस- सुरजेवाला
ये किसानों की लड़ाई का आगाज है. अभी तो बस हरियाणा-पंजाब के किसान आ रहे हैं, देश के बाकी हिस्सों से किसानो का हुजूम दिल्ली पहुंचेगा. इसके साथ ही सुरजेवाला ने कहा कि किसान खेत-मजदूर की परवरिश का सबसे बड़ा हिस्सा शांति और सदाचार होता है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से मैं कहूँगा कि हम किसानों की न्याय की मांग का समर्थन करते हैं.  

Source : MOHIT RAJ DUBEY

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