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केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में की हरित क्रांति, दिल्ली को बनाएंगे हरा-भरा

विकास परियोजना के तहत पेड़ों के नुकसान के एवज में अब एक वृक्ष की जगह 10 पौधे लगाने होंगे. प्रत्यारोपित किए जाने वाले पेड़ों की न्यूनतम उंचाई 6 फीट होनी चाहिए.

Updated on: 06 Mar 2021, 09:40 PM

नई दिल्ली:

सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में हरित क्रांति की शुरुआत कर दी है. वृक्ष प्रत्यारोपण नीति 2020 के दम पर सरकार दिल्ली को हराभरा बनाएगी. नई नीति में विकास कार्यों के दौरान 80 फीसदी पेड़ों का प्रत्यारोपण अनिवार्य कर दिया गया है. विकास परियोजना के तहत पेड़ों के नुकसान के एवज में अब एक वृक्ष की जगह 10 पौधे लगाने होंगे. प्रत्यारोपित किए जाने वाले पेड़ों की न्यूनतम उंचाई 6 फीट होनी चाहिए. वृक्ष प्रत्यारोपण के लिए निर्धारित प्रक्रिया के क्रियान्वयन की नियमित निगरानी के लिए दिल्ली वृक्ष प्राधिकरण प्रमुख निकाय होगा.

वृक्ष प्रत्यारोपण नीति 2020 के अनुसार विकास योजनाओं के तहत किसी भी पेड़ को अब अनावश्यक रूप से हटाया नहीं जा सकेगा. पेड़ को काटने और प्रत्यारोपण से बचने के लिए डिजाइन में हर संभव बदलाव करने की कोशिश करनी होगी. यदि संभव न हो तो ही पेड़ को काटा या प्रत्यारोपित किया जा सकता है. विकास परियोजना में बाधा बनने वाले 80 फीसदी पेड़ों को प्रत्यारोपित किया जाना अनिवार्य होगा. प्रत्यारोपण होने के 1 साल बाद तक 80 फीसदी पेड़ों को संरक्षित किया जाना सुनिश्चित करना होगा.

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एक पेड़ की जगह लगाने होंगे 10 पेड़
पेड़ के नुकसान के एवज में वृक्षारोपण करना आवश्यक होगा. पेड़ों की क्षतिपूर्ति के एवज में अब 10 गुना अधिक पौधे लगाने होंगे, यानि 1 पेड़ की क्षतिपूर्ति के एवज में 10 पौधे लगाने होंगे. इसके अलावा प्रत्यारोपित किए जाने वाले पेड़ों को बचाए रखना सुनिश्चित करने के लिए सभी की न्यूनतम उंचाई 6 फीट होनी चाहिए. बीजारोपण और वृक्षों की जियो टैगिंग भी करनी होगी.

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अब योजना से पहले होगा वृक्ष सर्वेक्षण
योजना की व्यवहारिकता के आंकलन के समय वृक्ष सर्वेक्षण किया जाएगा और वृक्षों के संरक्षण के लिए साइट की पहचान की जाएगी. आवेदक वृक्ष प्रत्यारोपण कार्य करने के लिए सूचीबद्ध एजेंसियों में से किसी एक तकनीकी एजेंसी का चयन करेगा. वृक्ष समिति 100 या अधिक वृक्षों के प्रत्यारोपण से संबंधित सभी परियोजनाओं की नियमित निगरानी करने और एक वर्ष के अंत में पेड़ों के जीवित रहने की दर को प्रमाणित करने के लिए जिम्मेदार होंगी.