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फिटनेस के आधार पर गाड़ियों को अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि इसी विषय को लेकर एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार अपील दायर करेगी. जल्द ही इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जाएगा.

Updated on: 16 Jun 2021, 01:20 PM

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने नया मोटर व्हीकल एक्ट तैयार किया था. इसे लगभग सभी राज्यों में लागू किया जा चुका है. हालांकि देश की राजधानी दिल्ली में ही केंद्र का नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू नहीं हो रहा है. गाड़ियों की आयु सीमा के बजाय फिटनेस के आधार पर गाड़िया चलने देने का कानून अभी दिल्ली में लागू नहीं होता है. दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि इसी विषय को लेकर एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार अपील दायर करेगी. जल्द ही इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जाएगा. दरअसल अभी तक दिल्ली में नियम है कि 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहन और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहन सड़क पर आए तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी.

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लगता है 10 हजार का जुर्माना
दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक सूचना यानी पब्लिक नोटिस निकाल कर वाहन मालिकों को आगाह किया. पब्लिक नोटिस में कहा गया है कि ' डीजल वाहन और पेट्रोल वाहन के पंजीकृत मालिक को यह निर्देश है कि वह अपने वाहन जो 10 वर्ष और 15 वर्षों से अधिक और दुर्घटनाग्रस्त वाहन या दूसरे कारणों से उपयोग में नहीं है वह अधिकृत स्क्रैपर द्वारा ही वाहनों को स्क्रैप करवाएं' ' यदि ऐसे वाहन जो दिल्ली के मार्गों पर उम्र खत्म होने के कारण परिचालन के लिए वर्जित हैं, परिचालन में पाए जाते हैं, वे उचित दंडात्मक कार्यवाही के लिए उत्तरदाई होंगे' मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक ऐसे वाहन सड़क पर मिलने पर 10 हजार तक का जुर्माना हो सकता है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक ऐसे वाहनों को परिवहन विभाग जब्त करके स्क्रैप करवा सकता है.

1 सितंबर 2019 से लागू है नया कानून
एक सितंबर 2019 से देश भर में संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट (MV Act) लागू कर दिया गया है. केंद्र सरकार द्वारा तैयार संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है. पहले के मुकाबले, संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में कई गुना ज्यादा जुर्माने का प्रावधान किया गया है. केंद्र सरकार ने राज्यों को छूट दे रखी है कि वह संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट को लागू करने करने या न करने अथवा इसमें जुर्माने के प्रावधानों पर फैसला ले सकते हैं. अधिकांश राज्यों ने यह कानून लागू कर दिया है.